महानिदेशक ने गुलदाउदी की चार नई किस्मों का किया विमोचन
गुलदाउदी एनबीआरआई 'सरस्वती किस्म मधुमक्खियों को करती आकर्षित

एनबीआरआई में दो दिवसीय फूलों की प्रदर्शनी का समापन, प्रतिभागी हुए पुरस्कृत
लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में चल रहे दो दिवसीय फूलों की प्रदर्शनी का समापन किया गया। रविवार को खिली धूप के बीच गुलाब एवं ग्लैडियोलस प्रदर्शनी का विद्यार्थियों, उद्यान प्रेमियों एवं अन्य शहर वासियों ने प्रदर्शनी में भाग लिया तथा विभिन्न पौधों के बारे में जानकारी भी हासिल की। प्रदर्शनी में प्रतिभागियों को इस वर्ष कुल 16 ट्रॉफीयां एवं विभिन्न वर्गों में विजेताओं को 147 पुरस्कार वितरित किये गए। इस वर्ष प्रदर्शनी में लखनऊ तथा अन्य शहरों से 17 प्रदर्शकों द्वारा 205 प्रविष्टियॉं प्रदर्शित की गईं। वहीं इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि सीएसआईआर नई दिल्ली की महानिदेशक डॉ. एन कलैसेलवी उपस्थित रही।उन्होंने संस्थान के प्रकाशनों का विमोचन किया। जिसमें सीएसआईआर-एनबीआरआई कैलेंडर 2025,नीम की कृषि प्रौद्योगिकी पर एक पुस्तक निर्जलित पुष्प शिल्प की उत्पाद सूची,सीएसआईआर-एनबीआरआई वार्षिक प्रतिवेदन 2023-24 प्रस्तुत की । साथ ही महानिदेशक द्वारा गुलदाउदी की चार नई किस्मों का भी विमोचन किया। इन चार किस्मो में गुलदाउदी एनबीआरआई ‘स्तुति’ इसकी विशेषता खासकर एक नई बौनी, ‘नो-पिंच-नो-स्टेक’ किस्म,आकर्षक फूलों के साथ अत्यधिक पुष्पयुक्त,धारीदार पत्तियां,गमले में उगाने और प्रदर्शन के लिए उत्कृष्ट होती है और गुलदाउदी एनबीआरआई ‘जगन्नाथ’,विशेषता, एक नई बौनी, ‘नो-पिंच-नो-स्टेक’ किस्म।आकर्षक फूलों के साथ अत्यधिक पुष्पयुक्त किस्म। छोटे फूल वाली’, ‘सिनेरिया-प्रकार’ अद्वितीय ‘एनेमोन-बटन’ आकार के साथ गमले में उगाने, बगीचे की क्यारियों-सीमाओं और प्रदर्शन के लिए उत्कृष्ट मानी जाती है। गुलदाउदी एनबीआरआई ‘सरस्वती’विशेषताओ में शुमार है। इसके एक नई छोटी, पुष्पयुक्त, नवजात-सफेद किस्म। रे फ्लोरेट्स की अद्वितीय प्रतिवर्तित प्रकृति के कारण घने चमकदार फूलों वाली किस्म। मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए संभावित किस्म क्योंकि यह प्रचुर मात्रा में पराग पैदा करती है और बहुत सारी मधुमक्खियों को आकर्षित करती है। पॉट-कल्चर, गार्डन बेड-बॉर्डर और प्रदर्शन के उद्देश्यों के लिए उत्कृष्ट। मधुमक्खी पालन क्षेत्र के लिए संभावित उपयोगिता। गुलदाउदी एनबीआरआई ‘पद्मा’की विशेषता एक नया ‘कट-स्प्रे’, गहरा गुलाबी फूल। यह किस्म ‘केल्विन विक्ट्री’ के गामा विकिरण के उपयोग से विकसित एक उत्परिवर्ती है। पॉट-कल्चर और प्रदर्शन के उद्देश्यों के लिए उत्कृष्ट। पुष्प गुलदस्ते में ‘कट-स्प्रे’ के रूप में उपयोग के लिए अच्छा है। इस अवसर पर सीएसआईआर-एनबीआरआई द्वारा विकसित 90के एसएनपी कॉटन चिप तकनीक को सीएसआईआर, नई दिल्ली की महानिदेशिका डॉ. कलैसेल्वी की उपस्थिति में आईएलएस लिमिटेड को हस्तांतरित भी किया गया। इस अवसर पर संस्थान द्वारा आनुवंशिक संसाधनों और विज्ञान आधारित विकास के मूल्य के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने सहित जीनोमिक्स और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रौद्योगिकियों, अनुसंधान और नवाचार के विकास और संवर्धन के लिए जीनोम फाउंडेशन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए। डॉ. कलैसेलवी ने संस्थान में नव विकसित केन्द्रीय पौध संवर्धन सुविधा का भी उद्घाटन किया। उन्होंने संस्थान द्वारा प्रत्येक अनुसंधान एवं विकास क्षेत्र में प्रो. केएन कौल सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र प्रमाण पत्र के विजेताओं को सम्मानित भी किया। इस अवसर पर डॉ. कलैसेल्वी ने एक पेड़ माँ के नाम अभियान के अंतर्गत संस्थान के दूरस्थ अनुसंधान केंद्र, बंथरा एवं वनस्पति उद्यान में पौधा रोपण भी किया। इस अवसर पर महानिदेशक, सीएसआईआर, नई दिल्ली द्वारा दो नए बेलपत्र आधारित इत्र: फ्रोटस-रुद्र और फ्रोटस-कुंभ भी लॉन्च किए गए। ये इत्र बेलपत्र सुगंधित तेल पर आधारित हैं। फ्रोटस-रुद्रा सुगंध बेलपत्र की पत्तियों पर आधारित है जबकि फ्रोटस-कुंभ बेल के फल पर आधारित है। इसी क्रम में मुख्य अतिथि डॉ. कलैसेल्वी ने कहा मुझे यह देख कर बहुत प्रसन्नता हुई कि सीएसआईआर-एन बीआरआई ने एक शाही उद्यान को धीरे धीरे एक अनुसंधान संस्थान में विकसित किया है जो आज किसानों, लघुउद्योगों, स्टार्ट अप, उद्यमियों एवं आम जनता को न सिर्फ एक समान रूप से आकर्षित कर रहा है बल्कि अपनी प्रौद्योगिकी और कार्यों को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत भी कर रहा है। उन्होंने सीएसआईआर-एनबीआरआई, लखनऊ के निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी के कुशल नेतृत्व में विज्ञान और समाज के लिए संस्थान द्वारा प्राप्त उपलब्धियों और योगदान की भी सराहना की तथा संस्थान को नए पथ पर आगे बढ़ने के लिए शुभकामनाएं दीं। इससे पूर्व सीएसआईआर-एनबीआरआई के दूरस्थ अनुसंधान केंद्र बंथरा के अपने दौरे पर डॉ. कलैसेल्वीने इंडिया हेरिटेज ट्री गार्डन का भी उद्घाटन किया। जिसमें संस्थान द्वारा एक विशेष पहल के अंतर्गत विरासत वृक्षों की पहचान, और उनके संरक्षण पर सक्रिय रूप से कार्य करने के उद्देश्य के साथ दूरस्थ अनुसंधान केंद्र बंथरा में एक भारतीय विरासती वृक्ष उद्यान को स्थापित किया गया है । इनमें से कई पेड़ एक सदी से भी अधिक पुराने हैं और स्वतंत्रता आंदोलनों के संबंध में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्व रखते हैं। हमारा लक्ष्य इन वृक्षों का संवर्धन करना है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी विरासत खत्म न हो। अभी तक हमने उत्तर प्रदेश, बिहार में चंपारण और नवसारी, गुजरात में दांडी मार्च मार्ग सहित कई ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों से विरासत वृक्षों को सफलतापूर्वक एकत्र और प्रवर्धित किया है ।निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने सम्मानित अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रदर्शनी को सफल बनाने के लिए सभी प्रतिभागियों और लखनऊ के नागरिकों को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर सीमैप निदेशक डॉ.पीके त्रिवेदी, डॉ. राधा रंगराजन निदेशक, सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ व अन्य अतिथि मौजूद रहे।समारोह के अंत में संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. केजे सिंह, ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।