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 हृदय रोगियों के निदान में 3डी इको तकनीक महत्वपूर्ण उपकरण- प्रो. भुवन चन्द्र तिवारी

 आरएमएल में हृदय रोग के लिए 3 डी इको कार्यशाला 

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। हृदय रोगियों के उपचार में 3डी तकनीकी महत्वपूर्ण उपकरण साबित हो रहा है। शनिवार को

डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के हृदय रोग विभाग द्वारा “संरचनात्मक हृदय रोगों के लिए 3डी इको (3डी इको फॉर स्ट्रक्चरल हार्ट डिजीज)” विषय पर एक उच्चस्तरीय कार्यशाला प्रशासनिक भवन स्थित ऑडिटोरियम में किया गया।

कार्यशाला का उद्देश्य चिकित्सकों, रेज़िडेंट्स एवं तकनीशियनों को हृदय की संरचनात्मक बीमारियों के निदान में प्रयुक्त तीन-आयामी इकोकार्डियोग्राफी (3डी इकोकार्डियोग्राफी) तकनीक की नवीनतम प्रगति एवं नैदानिक अनुप्रयोगों से परिचित कराना था। वहीं

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. भुवन चन्द्र तिवारी, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, हृदय रोग विभाग ने की। उन्होंने कहा कि “3डी इको तकनीक आज संरचनात्मक हृदय रोगों के निदान और प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में उभरी है।

यह तकनीक चिकित्सकों को हृदय की संरचना को वास्तविक रूप में देखने एवं उपचार के लिए सटीक योजना बनाने में सहायक है। वहीं

कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान निदेशक प्रो.सीएम सिंह द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि संस्थान चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और रोगी सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्टता के नए आयाम स्थापित कर रहा है।

इस प्रकार के अकादमिक आयोजन चिकित्सकों एवं विद्यार्थियों को नवीनतम चिकित्सा तकनीकों से जोड़ते हैं, जिससे बेहतर रोगी-सेवा संभव होती है।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में डॉ. सतीश सी. गोविंद, मुख्य गैर-आक्रामक हृदय रोग विशेषज्ञ एवं सचिव, मेडिकल एथिक्स कमेटी, नारायणा इंस्टिट्यूट ऑफ कार्डियक साइंसेज़, बेंगलुरु उपस्थित रहे।

उन्होंने “3डी इको” के विविध पहलुओं पर विस्तार से व्याख्यान दिया और लाइव प्रदर्शन के माध्यम से इसके नैदानिक उपयोग का परिचय कराया।

कार्यक्रम में कुल 30 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें 5 संकाय सदस्य, 5 तकनीशियन, एवं 20 रेज़िडेंट डॉक्टर (हृदय रोग एवं कार्डियोथोरेसिक वास्कुलर सर्जरी विभागों से) शामिल थे।

प्रशिक्षण सत्रों में प्रतिभागियों को 3डी इमेज अधिग्रहण, सॉफ्टवेयर विश्लेषण, और संरचनात्मक विकृतियों की व्याख्या पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।

डॉ. आशीष झा, अतिरिक्त प्रोफेसर, हृदय रोग विभाग, ने कार्यशाला संयोजक के रूप में पूरे आयोजन का सफल संचालन किया। उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण युवा चिकित्सकों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा और संस्थान में उन्नत हृदय इमेजिंग सेवाओं को और सशक्त करेगा।

कार्यशाला का समापन धन्यवाद ज्ञापन एवं भविष्य में इस प्रकार की और भी उच्चस्तरीय प्रशिक्षण कार्यशालाएँ आयोजित करने के संकल्प के साथ किया गया।

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