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चाचा भतीजे की फर्म पर मेहरबान केजीएमयू, एक सप्ताह बीता कार्रवाई शून्य 

चाचा स्थाई कर्मचारी,भतीजा आउटसोर्स कर्मी बना फर्म संचालक 

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फर्म से लाखों में फैलाया कारोबार, जिम्मेदारों को भनक तक नहीं लगी 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। अब नियमों का उलंघन करना आसान होता नजर आ रहा है। जिसमें स्थाई कर्मचारी हो या आउट सोर्स कर्मी हो उच्च अधिकारियों से सांठ गांठ कर लो और कारोबार बढ़ाते रहो किसी का कोई भय नहीं रहा है। मामला केजीएमयू के वित्त विभाग में तैनात स्थाई कर्मचारी दिलीप कुमार जो माली के पद पर नियुक्ति दी गयी और कार्य वित्त विभाग का लेखा जोखा का कार्य किया जा रहा है और इतना ही उच्च अधिकारियों की सह पर भतीजा मोहित आउटसोर्स में भर्ती होकर फर्म संचालक बन गया। जिसमें बीते वित्तीय वर्ष 2024-2025 में लगभग 18 लाख से अधिक का कारोबार भी कर डाला। जिसमें संस्थान के जिम्मेदारों को इसकी भनक तक नहीं लगी। वहीं जब मेडिकल रिपोर्टर द्वारा इस मामले को लेकर सूत्रों से जानकारी ली तो सारे पन्ने खुलने लगे जिसमें बताया गया शिकायत कर्ता अंकित गुप्ता ने संस्थान में नियमों का पर्दाफाश करते हुए मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री,कुलपति से संस्थान में चल रहे बन्दर बाट पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं सूत्रों ने बताया कि इस मामले को जैसे कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद को जानकारी मिली उन्होंने तत्काल 24 घंटे के अंदर जवाब तलब किया है। फिर भी 24 घंटे क्या एक सप्ताह बीतने को है अभी भी वित्त अधिकारी द्वारा जवाब व कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए कुलपति स्वयं इस फर्म का वित्तीय वर्ष का लेखा जोखा मांग ले तभी सच्चाई से पर्दा उठ सकेगा, नहीं तो ऐसे ही नियम को ताख पर रख कर कारोबार फलता फूलता रहेगा। साथ ही यह भी बताया गया कि वित्त विभाग के उच्च अधिकारी चाचा भतीजे को बचाने में लीपा पोती कर रहे हैं। ज्ञात हो कि बीते एक सप्ताह पहले मेडिकल रिपोर्टर द्वारा संस्थान में चल रही बंदर बांट को संस्थान प्रशासन को रूबरू कराया था। जिसमें स्थाई कर्मचारी दिलीप कुमार जो संस्थान में माली के पद पर नियुक्ति मिली और कार्य वित्त विभाग का कराया जा रहा और और मोहित जो आउटसोर्स कर्मचारी है,जिसे फर्म संचालक बना दिया गया और लाखों में कारोबार को फैला दिया गया है। जिसमें इस कारोबार के बारे में जिम्मेदार अंजान बने बैठे हैं। अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं कर सके हैं।

वर्तमान कुलपति के कार्यकाल के दौरान दोनों फाइनेंशियल वर्ष की जानकारी मिली थी। जिसमें बीते वर्ष फर्म से एक लाख से कम का कारोबार और इस वर्ष का शून्य का कारोबार की जानकारी प्राप्त हुई है। सभी तथ्यों को देखते हुए फाइनेंस ऑफिसर को अवगत कराते हुए कार्रवाई के लिए कहा जाएगा।

प्रो. केके सिंह

प्रवक्ता केजीएमयू लखनऊ

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