गोसाईगंज में 10 से 25 तक चलेगा आईडीए अभियान
2.73 लाख लोगों को खिलाएंगे फाइलेरिया रोधी दवा

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी में फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने का अभियान चलाया जाएगा। जिसे राष्ट्रीय फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद के गोसाईंगंज ब्लाक में 10 से 25 फरवरी तक सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलेगा। जिसके तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को फ़ाइलेरियारोधी दवा का सेवन करायेंगे। यह जानकारी शनिवार को गोसाईंगंज सीएचसी सभागार में आयोजित मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनबी सिंह के निर्देशन में प्रेस वार्ता के दौरान दी। वहीं राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. गोपीलाल ने कहा कि फ़ाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली संक्रामक और लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी के कारण शरीर के लटकते हुए अंगों जैसे हाथ, पैरों, पुरुषों के अन्डकोषों और महिलाओं के स्तनों में सूजन आ जाती है। फ़ाइलेरिया के लक्षण संक्रमण होने के पांच से 15 साल के बाद दिखाई देते हैं। इससे बचने का उपाय है कि मच्छरों के काटने से बचना और आईडीए अभियान के तहत लगातार पांच साल तक साल में एक बार फ़ाइलेरियारोधी दवा का सेवन करना। किसी भी जनपद या ब्लाक में एमडीए या आईडीए चलाये जाने के मुख्यतः तीन कारण होते हैं रात्रि कालीन रक्त पट्टिकाओं की गुणवत्ता, माइक्रोफ़ाइलेरिया की दर एक फ़ीसद से ज्यादा या कवरेज मूल्यांकन सर्वेक्षण के आधार पर समुदाय द्वारा फ़ाइलेरियारोधी दवा का सेवन न करना। जनपद में केवल गोसाईंगंज ब्लाक में आईडीए अभियान को चलाये जाने का कारण है। माइक्रोफ़ाइलेरिया रेट का एक से अधिक होना। पिछले साल आयोजित आईडीए अभियान के बाद चलाये गए नाईट ब्लड सर्वे में यह बात निकलकर आई थी। इस अभियान के तहत ब्लाक गोसाईंगंज की लगभग 2.73 लाख जनसँख्या को आच्छादित करने का लक्ष्य है। वर्तमान में ब्लाक में लिम्फोडिमा के 463 मरीज हैं। अभियान को सफल बनाने के लिए दो सदस्यीय 220 टीमें बनायीं गयी हैं। जिसमें एक पुरुष तथा एक महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता है और पर्यवेक्षण के लिए तथा 37 सुपरवाइजर नियुक्त किये गये हैं। जो प्रतिदिन अभियान की समीक्षा करेंगे। आशा के घर को डिपो बनाया गया है। यदि व्यक्ति दिन में घर पर दवा नहीं खा पाता है तो वह आशा कार्यकर्ता के घर जाकर दवा खा सकता है। दवा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने ही खानी है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को हिदायत दी गयी है कि दवा बाद में खाने के लिए किसी को भी नहीं देनी है। अपने सामने ही दवा खिलाना सुनिश्चित करना है। फ़ाइलेरियारोधी दवा का शत प्रतिशत सेवन कराने के लिए स्वयंसेवी संस्थाएं विश्व स्वास्थ्य संगठन, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च पाथ और प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल स्वास्थ्य विभाग का सहयोग कर रही हैं। गोसाईंगंज सीएचसी के तहत आने वाली सभी स्वास्थ्य इकाइयों पर 10 से 25 फरवरी तक फ़ाइलेरियारोधी दवा के सेवन के लिए बूथ लगाये जायेंगे इसके साथ ही लाला महादेवी बालिका इंटर कॉलेज, टीडीएल शारदा ग्रुप ऑफ़ कॉलेज, एसआरएम विश्व विद्यालय आदि में भी बूथ लगाये जायेंगे। इसके अलावा ब्लॉक में स्थित जेलों में भी फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जाएगी। साथ ही जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. रितु श्रीवास्तव ने कहा कि फ़ाइलेरियारोधी दवा एक साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमारी से पीड़ित को छोड़कर सभी को खानी है। यह दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित हैं। उन्होंने बताया कि ब्लाक में अभियान को सफल बनाने के लिए कार्ययोजना पूरी तरह से तैयार क्र ली गयी है। धनराशि का आवंटन, उपयोग में लायी जाने वाली लोजिस्टिक की खरीद, रसद, दवा तथा प्रचार प्रसार सामग्री प्रचुर मात्रा में उपलब्ध करा दी गयी है। इसके साथ ही ब्लाक स्तर पर अन्तर्विभागीय बैठक करा ली गयी है और सुपरवाईजर तथा आशा कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है। दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है | दवा सेवन के बाद खुजली होना, उल्टी होना, शरीर पर चकत्ते पड़ना, चक्कर आना आदि समस्यायें होती हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है। इसका मतलब है कि शरीर में फ़ाइलेरिया के परजीवी थे। उनके मरने के परिणामस्वरूप यह प्रतिक्रिया हुयी है। यह लक्षण कुछ समय बाद अपने आप ही ठीक हो जाती हैं। ऐसी किसी भी परेशानी के प्रबन्धन के लिए ब्लाक पर रैपिड रिस्पोंस टीम(आरआरटी) गठित की गयी है। इस अवसर पर फ़ाइलेरिया मरीज फूलचंद ने उपस्थित सभी लोगों को अपनी आपबीती बतायी तथा यह भी बताया कि वर्तमान में वह, सीएचओ, आशा कार्यकर्ता, प्रधान, कोटेदार आदि ने मिलकर पेशेंट स्टेकहोल्डर प्लेटफोर्म(पीएसपी) बनाकर लोगों को फ़ाइलेरिया बीमारी के बारे में बता रहे हैं और फ़ाइलेरियारोधी दवा खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।इस मौके पर स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी लक्ष्मी नारायण यादव,जिला मलेरिया इकाई के सदस्य,सीएचसी के कर्मचारी, सहयोगी संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च और प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के प्रतिनिधि मौजूद रहे।