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मलेरिया से बचाव को सावधानी व समय पर इलाज जरुरी – पार्थ सारथीसेन शर्मा

कल विश्व मलेरिया दिवस

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। मलेरिया से बचाव के लिए सावधानी व समय पर उपचार होने से बचाया जा सकता है। यह जानकारी विश्व मलेरिया दिवस के पूर्व गुरुवार को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने दी। उन्होंने कहा कि

मलेरिया प्लाजमोडियम परजीवी के कारण होने वाली जानलेवा बीमारी है जो कि मनुष्यों में मादा एनाफीलिज मच्छर के काटने से होती है। गर्मियों में इसका प्रकोप बढ़ जाता है। विशेषकर उष्ण कटिबंधी एवं उप उष्णकटिबंधी देशो में जहाँ गर्मी का मौसम और रुका हुआ पानी मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल होता है। सरकार ने मलेरिया का उन्मूलन का लक्ष्य साल 2030 तय किया गया है।

इसको लेकर योगी सरकार प्रतिबद्ध है और मलेरिया नियंत्रण के लिए राज्य सरकार द्वारा लगातार प्रयास जारी है। प्रमुख सचिव का कहना है कि “विगत वर्षों में राज्य में मलेरिया के मामलों में कमी आई है और अभी भी यह एक जनस्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। जिससे निजात पाने के लिए हमें ठोस रणनीतिक कदम उठाने होंगे। समय पर पहचान, प्रभावी उपचार, मच्छर नियंत्रण और जनजागरूकता के माध्यम से हम राज्य के प्रत्येक कोने से मलेरिया को समाप्त करेंगे। हर नागरिक, स्वास्थ्यकर्मी और विभाग की इस अभियान में अहम भूमिका है। साथ ही

डॉ. मधु गैरोला, निदेशक, संचारी रोग बताती हैं कि मलेरिया की पुष्टि के लिए रैपीड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) किट अथवा माइक्रोस्कोपी जाँच की जाती है। यह किट आशा कार्यकर्ता सहित सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। मलेरिया की पुष्टि होने पर त्वरित उपचार प्रदान किया जाता है। जिसका फॉलो अप आशा कार्यकर्ता द्वारा निर्धारित नियमीट अंतराल पर किया जाता है।

मलेरिया रोग के प्रसार को कम करने के लिए सभी रोगियों के सापेक्ष 24 से 48 घंटे के अंदर केस बेस्ड एक्टिविटी की जाती है। जिसके तहत निरोधात्मक गतिविधियाँ एवं एक्टिव केस सर्च की गतिविधियां सम्पादित की जाती हैं। इसमें इंडेक्स घर के आस-पास घरों मच्छर जनित परिस्थितियों को समाप्त किया जाता है। इसके साथ ही रोगियों में रोग के प्रसार का कारण जानने के लिए केस इन्वेस्टीगेशन फॉर्म भरे जाते हैं। इसके साथ ही हर साल,साल में तीन बार अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जाता है जो कि पूरे माह चलता है।

मलेरिया से प्रभावित जिले..

आजमगढ़, सहारनपुर, मैनपुरी, में पिछले तीन सालों में और चित्रकूट में पिछले दो सालों में मलेरिया का कोई केस सामने नहीं आया है। इसके साथ ही आठ जिलों बाँदा, महोबा,जालौन, ललितपुर देवरिया, संतकबीरनगर, बलरामपुर और रायबरेली में साल 2024 में मलेरिया का कोई भी इंडीजीनस केस सामने नहीं आया है। साल 2024 में प्रदेश के 10 जनपद बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर,हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर लखनऊ,पीलीभीत, सोनभद्र और कानपुर देहात मलेरिया प्रभावित क्षेत्र रहे जहाँ मलेरिया के कुल 11,914 मरीज मिले थे।

जानें आंकड़े..

डॉ. विकास सिंघल, संयुक्त निदेशक, मलेरिया बताते हैं कि सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का परिणाम है कि प्रदेश में साल 2023 में मलेरिया के 13,603 रोगी मिले जबकि साल 2024 में घटकर इनकी संख्या 13,477 रह गयी। प्रदेश में साल 2023 में मलेरिया की कुल 1.07 करोड़ जांचें हुयीं जबकि साल 2024 में इसकी संख्या बढ़कर 1.45 करोड़ हो गयी।

इसके साथ ही मलेरिया की वार्षिक रक्त जाँच दर (एबीईआर) में भी वृद्धि हुयी है। साल 2023 में एबीईआर 4.50 फीसद थी जोकि 2024 में बढ़कर 6.12 फीसद हो गयी है।

मच्छरों से बचाव के जाने तरीके..

गर्मी में लोग शाम को और सुबह के समय घर से बाहर टहलने निलकते हैं ऐसे में मच्छरों से बचाव के लिए फुल बांह के कपड़े पहने या मच्छररोधी क्रीम लगायें। रात में सोते समय मच्छरदानी या मच्छररोधी क्रीम का उपयोग करें। घर के घर में कबाड़, गमले की प्लेटें नारियल के खोल आदि आदि में और घर के आस पास, में पानी इकट्ठा न होने दें। इसके अलावा कूलर का पानी हर हफ्ते बदलकर उसको अच्छे से साफ़ कर फिर से पानी भरें। इसके साथ ही शो वाले पौधे जैसे मनी प्लांट, फाउन्टेन आदि का पानी हर हफ्ते बदलते रहें।

हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाने का उद्देश्य मलेरिया पर नियंत्रण पाने और इसको खत्म करने के लिए वैश्विक स्तर पर किया जा रहे प्रयासों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। हर साल यह दिवस किसी न किसी थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल दिवस की थीम है-“ मलेरिया हमारे साथ समाप्त होता है : पुनर्निवेश, पुनर्कल्पना, पुनर्जीवन। यह थीम मलेरिया के उन्मूलन के लिए नए समर्पण, नयी योजनाओं और नए टीम वर्क की आवश्यकता पर जोर देता है।

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