जलवायु परिवर्तन कार्यशाला का डीजी हेल्थ ने किया शुभारंभ
डॉ एनबी सिंह, डॉ पंकज सक्सेना, डॉ अंजू अग्रवाल रही मौजूद
लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। जलवायु परिवर्तन पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सुझाव व्यक्त किए। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान तथा एचसीएल फाउंडेशन एवं स्वयं सेवी संस्था ममता हेल्थ इंस्टीटयूट ऑफ मदर एंड चाइल्ड के सहयोग से एक होटल में “मातृ स्वास्थ्य एवं गर्भधारण-पूर्व देखभाल में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर संवादात्मक संगोष्ठी आयोजित की गयी । वहीं महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं उप्र डॉ. रतनपाल सिंह सुमन ने कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए कहा कि विपरीत जलययायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण मातृ स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।निदेशक, परिवार कल्याण डॉ. संगीता गुप्ता ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण गर्भवती एक्लैपशिया से प्रभावित हो सकती है, समय से पहले और कम वजन के बच्चे का जन्म हो सकता है या मृत बच्चे का जन्म हो सकता है। विभाग इसको लेकर कई कार्यक्रम, योजनाएं और अभियान चला रहा है। जिसका परिणाम है कि प्रदेश की सकल प्रजनन दर 2.7 से घटकर 2. 4 हो गई है। यह राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 के आंकड़े बताते हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनबी सिंह ने कहा कि एचसीएल फाउंडेशन और ममता-एचआईएमसी जनपद में चार सीएचसी एवं समुदाय में विभाग का सहयोग कर रही है। इसके कारण से सेवाओं में सुधार हुआ है और इस सहयोग को अन्य स्वास्थ्य केन्द्रो में भी प्रदान करने का सुझाव दिया। साथ ही एचसीएल फाउंडेशन की बिजनेस लीड डॉ. चेतना ने संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी और ममताद्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए स्वास्थ्य पर पड़ रहे प्रभाव को दर्शाया। ममत्ता संस्था के अधिशासी निदेशक डॉ सुनील मेहरा ने एचसीएल और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा किए जा रहे कार्यों के कारण हो रहे स्वास्थ्य सुधार पर प्रकाश डाला। इस मौके पर संयुक्त निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं डॉ पंकज सक्सेना महाप्रबंधक परिवार नियोजन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डॉ. सूर्यांशु ओझा, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी जिला कार्यक्रम प्रबंधक सतीश यादव, क्वीन मेरी अस्पताल, केजीएमयू की महिल रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. अंजू अग्रवाल, सीएचसी अधीक्षक एवं प्रमुख सहयोगी संस्था यूनिसेफ, जपाईगो, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सी फॉर) और वात्सल्य, इत्यादि के प्रतिनिधि मौजूद रहे ।