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भारतीय सेना का सूर्य स्पीति चैलेंज और ड्रोनाथॉन 2025 का आयोजन

 

लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। दस हज़ार पांच सौ फीट की ऊंचाई पर 1500 से अधिक धावक प्रतिभाग कर जज्बा दिखाया। सोमवार को

ऑपरेशन सद्भावना के तहत भारतीय सेना ने स्पीति घाटी में 10,500 फीट की ऊँचाई पर दो शानदार आयोजनों का सफलतापूर्वक समापन किया। जिसमें सूर्या स्पीति चैलेंज (मैराथन) का दूसरा संस्करण और पहला सूर्या ड्रोनाथॉन 2025 किया गया।

इस वर्ष की मैराथन में 1,500 से ज़्यादा धावकों ने भाग लिया। जिनमें 800 स्थानीय धावक, 700 सशस्त्र बल कर्मी और पूरे भारत से 32 शीर्ष एथलीट शामिल थे। इन धावकों ने चार कठिन श्रेणियों में अपनी क्षमता का परीक्षण में

77 किमी कुंजुमला काज़ा कमांडो रन (स्पीति अल्ट्रा)-सहनशक्ति की अंतिम परीक्षा,

42 किमी फुल मैराथन (स्पीति नदी पर दौड़), 21 किमी हाफ मैराथन (द बॉर्डर डैश), 10 किमी हाईलैंड डैश ऊँचाई पर एक तेज़ दौड़ तय किया गया। जिसमें

नायक हेत राम की 77 किलोमीटर की पुरुष स्पीति अल्ट्रा रेस 6 घंटे 22 मिनट 09 सेकंड के समय के साथ जीते। तेनज़िन डोल्मा ने महिला वर्ग में 7 घंटे 56 मिनट 21 सेकंड के समय के साथ अल्ट्रा और 4 घंटे 32 मिनट 08 सेकंड के समय के साथ फुल मैराथन दोनों दौड़े जीती। कलम सिंह बिष्ट जैसे अनुभवी और सोनम स्टैनज़िन जैसे उत्साही युवाओं ने भी अपनी छाप छोड़ी। इसके अलावा

10 से 24 अगस्त तक सूर्या ड्रोनाथन 2025 आयोजित किया गया। सूर्या ड्रोनाथन 2025 अपनी तरह की पहली हाई एल्टीट्यूड ड्रोन प्रतियोगिता थी। सेवा दल, स्टार्टअप, फ्रीलांसर और ओईएम ने ड्रोन रेसिंग और बाधा नेविगेशन से लेकर हिमालय की चरम परिस्थितियों में फील्ड ट्रायल तक, कई चुनौतियों का सामना किया।

यह आयोजन केवल ड्रोन उड़ाने के बारे में नहीं था – बल्कि स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देने के बारे में था। नवप्रवर्तकों को वास्तविक दुनिया के परिचालन वातावरण में समाधानों का परीक्षण और प्रदर्शन करने के लिए एक मंच प्रदान करके, सेना ने आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया।

ड्रोनाथॉन सेना, नवप्रवर्तकों और उद्योग के बीच एक सीधा संपर्क बन गया, जिसने भविष्य के सहयोग और घरेलू तकनीकों की संभावित खरीद के द्वार खोले।वहीं

कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी), मध्य कमान और लेफ्टिनेंट जनरल डीजी मिश्रा, जीओसी, उत्तर भारत क्षेत्र ने भाग लिया। उन्होंने प्रतिभागियों की सराहना की। इस दौरान

मैराथन ने सैन्य-नागरिक संबंधों को मज़बूत किया। युवाओं को प्रेरित किया और मानवीय भावना का उत्सव मनाया। इसने देश भर के लोगों को हमारे सीमावर्ती क्षेत्रों को रोमांच, संस्कृति और अवसरों के केंद्र के रूप में देखने के लिए एक साथ लाया। भारतीय सेना पहले से ही ऑपरेशन सद्भावना, आर्मी गुडविल स्कूल, सामुदायिक रेडियो स्टेशनों और बाइक अभियान, ट्रेकिंग और पर्वतारोहण जैसी साहसिक गतिविधियों के माध्यम से युवाओं की भागीदारी में निवेश कर रही है।

ड्रोनाथन ने भारत की तकनीकी शक्ति और रक्षा अनुप्रयोगों में इसकी क्षमता का प्रदर्शन किया।

हमारी विशिष्ट परिचालन आवश्यकताओं के अनुरूप स्वदेशी ड्रोन विकसित करना और कौशल को और बढ़ाने के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण, प्रतियोगिताएँ और सूर्या ड्रोनाथन जैसे आयोजन आवश्यक हैं।

सुमडो में हुए इन दो आयोजनों ने एक सशक्त भारतीय सेना का सूर्य स्पीति चैलेंज और ड्रोनाथॉन 2025 का आयोजन

दस हज़ार, पांच सौ फीट की ऊंचाई पर 1500 से अधिक धावकों ने किया प्रतिभाग

लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। दस हज़ार पांच सौ फीट की ऊंचाई पर 1500 से अधिक धावक प्रतिभाग कर जज्बा दिखाया। सोमवार को

ऑपरेशन सद्भावना के तहत भारतीय सेना ने स्पीति घाटी में 10,500 फीट की ऊँचाई पर दो शानदार आयोजनों का सफलतापूर्वक समापन किया। जिसमें सूर्या स्पीति चैलेंज (मैराथन) का दूसरा संस्करण और पहला सूर्या ड्रोनाथॉन 2025 किया गया।

इस वर्ष की मैराथन में 1,500 से ज़्यादा धावकों ने भाग लिया। जिनमें 800 स्थानीय धावक, 700 सशस्त्र बल कर्मी और पूरे भारत से 32 शीर्ष एथलीट शामिल थे। इन धावकों ने चार कठिन श्रेणियों में अपनी क्षमता का परीक्षण में

77 किमी कुंजुमला काज़ा कमांडो रन (स्पीति अल्ट्रा)-सहनशक्ति की अंतिम परीक्षा,

42 किमी फुल मैराथन (स्पीति नदी पर दौड़), 21 किमी हाफ मैराथन (द बॉर्डर डैश), 10 किमी हाईलैंड डैश ऊँचाई पर एक तेज़ दौड़ तय किया गया। जिसमें

नायक हेत राम की 77 किलोमीटर की पुरुष स्पीति अल्ट्रा रेस 6 घंटे 22 मिनट 09 सेकंड के समय के साथ जीते। तेनज़िन डोल्मा ने महिला वर्ग में 7 घंटे 56 मिनट 21 सेकंड के समय के साथ अल्ट्रा और 4 घंटे 32 मिनट 08 सेकंड के समय के साथ फुल मैराथन दोनों दौड़े जीती। कलम सिंह बिष्ट जैसे अनुभवी और सोनम स्टैनज़िन जैसे उत्साही युवाओं ने भी अपनी छाप छोड़ी। इसके अलावा

10 से 24 अगस्त तक सूर्या ड्रोनाथन 2025 आयोजित किया गया। सूर्या ड्रोनाथन 2025 अपनी तरह की पहली हाई एल्टीट्यूड ड्रोन प्रतियोगिता थी। सेवा दल, स्टार्टअप, फ्रीलांसर और ओईएम ने ड्रोन रेसिंग और बाधा नेविगेशन से लेकर हिमालय की चरम परिस्थितियों में फील्ड ट्रायल तक, कई चुनौतियों का सामना किया।

यह आयोजन केवल ड्रोन उड़ाने के बारे में नहीं था – बल्कि स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देने के बारे में था। नवप्रवर्तकों को वास्तविक दुनिया के परिचालन वातावरण में समाधानों का परीक्षण और प्रदर्शन करने के लिए एक मंच प्रदान करके, सेना ने आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया। द्रोणनाथन सेना, नवप्रवर्तकों और उद्योग के बीच एक सीधा संपर्क बन गया, जिसने भविष्य के सहयोग और घरेलू तकनीकों की संभावित खरीद के द्वार खोले।वहीं

कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी), मध्य कमान और लेफ्टिनेंट जनरल डीजी मिश्रा, जीओसी, उत्तर भारत क्षेत्र ने भाग लिया। उन्होंने प्रतिभागियों की सराहना की। इस दौरान

मैराथन ने सैन्य-नागरिक संबंधों को मज़बूत किया। युवाओं को प्रेरित किया और मानवीय भावना का उत्सव मनाया। इसने देश भर के लोगों को हमारे सीमावर्ती क्षेत्रों को रोमांच, संस्कृति और अवसरों के केंद्र के रूप में देखने के लिए एक साथ लाया। भारतीय सेना पहले से ही ऑपरेशन सद्भावना, आर्मी गुडविल स्कूल, सामुदायिक रेडियो स्टेशनों और बाइक अभियान, ट्रेकिंग और पर्वतारोहण जैसी साहसिक गतिविधियों के माध्यम से युवाओं की भागीदारी में निवेश कर रही है।

ड्रोनाथन ने भारत की तकनीकी शक्ति और रक्षा अनुप्रयोगों में इसकी क्षमता का प्रदर्शन किया।

हमारी विशिष्ट परिचालन आवश्यकताओं के अनुरूप स्वदेशी ड्रोन विकसित करना और कौशल को और बढ़ाने के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण, प्रतियोगिताएँ और सूर्या ड्रोनाथॉन जैसे आयोजन आवश्यक हैं।

सुमडो में हुए इन दो आयोजनों ने एक सशक्त मिसाल कायम की है। जहाँ परंपरा का तकनीक से मिलन होता है। धीरज का नवाचार से मिलन होता है और सेना राष्ट्र निर्माण में नागरिकों के साथ साझेदारी करती है।

भारतीय सेना का सूर्या स्पीति चैलेंज और ड्रोनाथॉन 2025 इस बात का जीवंत प्रमाण है कि कैसे सबसे ऊँचे युद्धक्षेत्र भी मानवीय भावना और राष्ट्रीय प्रगति के लिए सबसे बड़े मंच बन सकते हैं।

मिसाल कायम की है। जहाँ परंपरा का तकनीक से मिलन होता है। धीरज का नवाचार से मिलन होता है और सेना राष्ट्र निर्माण में नागरिकों के साथ साझेदारी करती है।

भारतीय सेना का सूर्या स्पीति चैलेंज और ड्रोनाथॉन 2025 इस बात का जीवंत प्रमाण है कि कैसे सबसे ऊँचे युद्धक्षेत्र भी मानवीय भावना और राष्ट्रीय प्रगति के लिए सबसे बड़े मंच बन सकते हैं।

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