उत्तर प्रदेशजीवनशैली

सामूहिक भागीदारी से, समृद्ध भारत की बुनियाद होगी समृद्ध – डॉ. हीरालाल 

 जल जंगल ज़मीन को संरक्षित करने की मुहिम

 

34 जिलों में 52 परियोजनायें संचालित करने की सहमति 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। जल जंगल ज़मीन को संरक्षित करने की मुहिम तेज हो गई है। भूमि, जल संरक्षण के साथ ही किसानों व ग्रामीणों के उत्थान की दिशा में पहल शुरू की गयी है। जिसे प्रदेश की स्वयंसेवी संस्थाओं और स्टार्टअप की भी मदद ली जाएगी। संस्थाओं के ज्ञान के आदान-प्रदान और बहुमूल्य सुझावों को तरजीह देते हुए आपसी सहयोग से गाँव का पानी गाँव में और खेत का पानी खेत में रोकने और किसानों व ग्रामीणों के जीवन स्तर में बदलाव लाने की दिशा में विशेष योजना तैयार की जा रही है। परियोजना के तहत ग्रामीणों को अनुदान प्रदान कर उनके जीवन स्तर में सुधार लाया जा रहा है। मंगलवार को इसी कार्य योजना को तैयार करने के लिए गोमतीनगर स्थित भू-मित्र भवन में राज्य स्तरीय नोडल एजेंसी, वाटरशेड विकास घटक-प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. हीरा लाल की अध्यक्षता में प्रदेश के 75 स्वयंसेवी संस्थाओं और स्टार्टअप के साथ बैठक की। जिसे भारत सरकार की गाइडलाइन की धारा 6 में उल्लिखित इंटीग्रेशन व कन्वर्जेन्स के अनुपालन में की गयी । बैठक में मुख्य अतिथि पद्मश्री राम सरन वर्मा ने कम लागत में अधिक उत्पादन के जरूरी टिप्स दिए। डॉ. हीरा लाल ने जल-जंगल, जमीन और जीव-जन्तु को संरक्षित करने की दिशा में सरकार द्वारा उठाये जा रहे प्रमुख क़दमों के बारे में जानकारी दी और कहा कि सभी की सामूहिक भागीदारी से ही समृद्ध भारत की बुनियाद रखी जा सकती है। इसी के तहत देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही प्रदेश के 34 जिलों में वाटरशेड यात्रा निकालकर जन-जन को जल की महत्ता समझाई जा रही है। गांवों में तालाब बनाए जा रहें हैं, मिटटी के कटाव को रोकने के लिए मेडबंदी और वृक्षारोपण किया जा रहा है। खेत में मेडबंदी से भूमि की उर्वरा शक्ति में सुधार किया जा सकता है । मिट्टी में नमी का संरक्षण किया जा सकता है और भू-जल स्तर में वृद्धि की जा सकती है। सिंचाई की उन्नत विधियों को लोगों के बीच प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भूमि व जल संरक्षण से जहाँ हर खेत में हरियाली आएगी वहीँ इससे हर घर में खुशहाली भी आएगी । इसी सोच के साथ 34 जिलों में 52 परियोजनायें संचालित की जा रही हैं । पद्मश्री राम सरन वर्मा ने कहा कि भूमि को स्वस्थ रखने में फसल चक्र बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि गेहूं और धान के फसल के उपज के साथ ही सब्जी और फल की खेती से कम लागत में अधिक उत्पादन किया जा सकता है । फसल चक्र अपनाने से बीमारियों में भी कमी लायी जा सकती है । उन्होंने बताया कि इस समय वह एक बड़े भू-भाग में खेती के साथ ही बड़ी संख्या में लोगों रोजगार देने में सफल हुए हैं। बैठक में विषय वस्तु विशेषज्ञ कृषि विभाग आर.एस.वर्मा, प्राविधिक अधिकारी कृषि विभाग शैलेश कुमार वर्मा, परियोजना के तकनीकी समन्वयक डॉ. जेएम त्रिपाठी समेत अन्य विभागीय अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे। बैठक में अर्श फाउंडेशन, विज्ञान फाउंडेशन, सेव सोसायटी, चाइल्ड हेल्प फाउंडेशन, सांगी महिला संगठन, न्यूट्रीशन इंटरनेशनल, पेस, नारायण ग्रामोद्योग सेवा संस्थान, सम्भव सेवा संस्थान, सृष्टि सेवा संस्थान, साई संस्था, कावेरी फाउंडेशन शामिल रही।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button