उत्तर प्रदेशधर्म-अध्यात्म

 श्रीकृष्ण सुदामा की मित्रता अमर – अप्रमेय प्रपन्नाचार्य

श्रीकृष्ण सुदामा मित्रता का सत्प्रसंग सुनकर श्रोता हुए भावुक

 

रामनगर,बाराबंकी। लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। श्री कृष्ण सुदामा की मित्रता का सत्प्रसंग प्रसंग सुनकर श्रोता भावुक हो गए।

द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण ने संसार के सामने सुदामा को गले लगाकर मित्रता की अद्भुत मिसाल पेश किया जब तक सूरज चांद रहेगा तब तक श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता अमर रहेगी।

यह बातें रामनगर कस्बे के धमेडी़ मोहल्ला स्थित लक्ष्मी नारायण शुक्ला के आवास पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन कथा व्यास वैश्णवाचार्य प्रपन्नाचार्य महाराज ने कही।

उन्होंने कहा कि सुदामा ने भगवान श्री कृष्ण के साथ सांदीपनि मुनि के आश्रम में साथ-साथ विद्या अध्ययन किया था। भगवान श्री कृष्ण द्वारकाधीश हो गए और सुदामा जी एक दरिद्र ब्राह्मण हुए सुदामा जितेंद्रिय एवं भगवान कृष्ण के परम मित्र थे।

भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन पोषण करते। गरीबी के बावजूद भी हमेशा भगवान के ध्यान में मग्न रहते। पत्नी सुशीला सुदामा से बार बार आग्रह करती कि आपके मित्र तो द्वारकाधीश है। उनसे जाकर मिलो शायद वह हमारी मदद कर दें। सुदामा पत्नी के कहने पर द्वारिका पहुंचते हैं और जब द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं कि सुदामा नाम का ब्राम्हण आया है।

कृष्ण यह सुनकर नंगे पैर दौङकर आते हैं और अपने मित्र को गले से लगा लेते । उनकी दीन हीन दशा को को देखकर भगवान श्रीकृष्ण की आंखों से अश्रुओं की धारा प्रवाहित होने लगती है। सुदामा को सिंघासन पर बैठाकर कृष्ण सुदामा के चरण धोते हैं। सभी पटरानियां सुदामा जी से आशीर्वाद लेती हैं।

सुदामा विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना पाते हैं इस लिए कहा गया है कि जब जब भक्तों पर विपदा आई है प्रभु उनका तारण करने जरुर आए हैं। भगवान श्री कृष्णा और सुदामा मिलन की मार्मिक कथा को सुनकर श्रोता भाव विभोर हो उठे।

अगले प्रसंग में महराज ने‌ कहा कि शुकदेव ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई, जिससे उनके मन से मृत्यु का भय निकल गया। तक्षक नाग आता है और राजा परीक्षित को डस लेता है। राजा परीक्षित कथा श्रवण करने के कारण भगवान के परमधाम को पहुंचते है।

इसी श्रृंखला में महाराज ने सत्यभामा रुक्मणी गरुड़ व सुदर्शन मान मर्दन की कथा का रसपान श्रोताओं को कराया। तत्पश्चाप सुखदेव पूजन का कार्यक्रम संपन्न हुआ।

इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक लक्ष्मी नारायण शुक्ला अनिल अवस्थी मधुबन मिश्रा आशीष पांडे बृजेश शुक्ला दुर्गेश शुक्ला गोपाल शुक्ला, उमेश पांडे, शुभम जायसवाल, लवकेश शुक्ला, शिवम शुक्ला मौजूद रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button