पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग का उत्कृष्ट प्रदर्शन
आईएपीएसकॉन 2025 में पुरस्कारों की वर्षा

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। आईएपीएसकॉन 2025 सम्मेलन में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को पुरस्कृत किया गया। रविवार को
एसजीपीजीआई के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग ने आईएपीएसकॉन 2025 में एक बार फिर उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय मंच पर संस्थान का नाम रोशन किया है।
सम्मेलन के दौरान विभाग के फैकल्टी सदस्यों, सीनियर्स और रेज़िडेंट डॉक्टर्स द्वारा प्रस्तुत शोध पत्रों, तकनीकी नवाचारों और शैक्षणिक प्रस्तुतियों को सर्वश्रेष्ठ श्रेणी के पुरस्कारों से नवाज़ा गया।
द्वितीय वर्ष एमसीएच रेज़िडेंट डॉ. पूजा प्रजापति को “रू-लिंब ऑब्स्ट्रक्शन आफ्टर कोलेडोकल सिस्ट एक्सिशन एंड रू-एन-वाई हेपेटिकोजेजुनोस्टॉमी” विषय पर केके शर्मा अवॉर्ड में प्रथम पुरस्कार और “अर्ली जीआई ब्लीड पोस्ट कसाई पोर्टोएन्टरोस्टॉमी” विषय पर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।
तीसरे वर्ष एमसीएच रेज़िडेंट डॉ. तरुण कुमार को “नो कॉमन बाइल डक्ट ICG असिस्टेड लैप्रोस्कोपिक हेपेटिकोजेजुनोस्टॉमी” विषय पर मिनिमली इनवेसिव सर्जरी श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिला तथा उन्होंने PTCC in Biliary Atresia विषय पर पेपर भी प्रस्तुत किया।
दूसरे वर्ष एमसीएच रेज़िडेंट डॉ. राहुल गोयल ने लैप्रोस्कोपिक मैनेजमेंट ऑफ ह्यूजली डाइलेटेड मालरोटेटेड रीनल पेल्विस तथा साइड-टू-साइड लीनो-रेनल (मित्रा) शंट इन EHPVO विषयों पर अपने शोध प्रस्तुत किए। वहीं
विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. बसंत कुमार ने “अंकन्वेशनल अलटरनेटिव Shunts in पीडियाट्रिक EHPVO – रेस्क्यू सर्जरी एंड आउटकम्स ” विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान दिया।
प्रो. डॉ. अंकुर मंडेलिया द्वारा मेसो रेक्स बाईपास फॉर EHPVO in चिल्ड्रन, रोबोटिक Choledochal Cyst Excision, SPEN and Rare Pancreatic Tumors, तथा Advanced Innovations in Minimally Invasive GI & HPB Surgery जैसे विषयों पर उच्चस्तरीय प्रस्तुतियाँ दी गईं और इसी श्रेणी में उन्हें प्रथम पुरस्कार भी मिला।
प्रो. डॉ. विजय दत्त उपाध्याय ने “Spleno-Renal Shunt” विषय पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया।
डॉ. पूजा प्रजापति और अन्य रेज़िडेंट्स ने अपने सम्मान का श्रेय विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. बसंत कुमार, प्रो. डॉ. अंकुर मंडेलिया, प्रो. डॉ. विजय दत्त उपाध्याय, सभी फैकल्टी सदस्यों और वरिष्ठ साथियों को दिया, जिनके सतत मार्गदर्शन और प्रेरणा से यह उपलब्धियाँ संभव हुईं।



