
लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी में चल रहे कालाजार उन्मूलन अभियान का जायजा लिया गया। मंगलवार को
राष्ट्रीय कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अलीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अहिबरनपुर क्षेत्र में इनडोर रेसिड्यूल स्प्रे(आईआरएस) की गतिविधियां चलाई जा रही हैं। वहीं
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनबी सिंह ने बताया कि उपरोक्त के क्रम में मंगलवार को गतिविधि का निरीक्षण डॉ. जुल्फ़िकार, क्षेत्रीय निदेशक भारत सरकार तथा जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. रितु श्रीवास्तव द्वारा संयुक्त रूप से किया गया व उनके द्वारा लोगों को बीमारी व उसके बचाव के बारे में जागरूक किया गया।
क्षेत्रीय निदेशक गतिविधियों से संतुष्टि जाहिर की। इसके अलावा उन्होने कमर्चारियों तथा स्थानीय लोगों से बातचीत भी की। आईआरएस की गतिविधि 10 नवम्बर से शुरू हुयी है और 25 नवम्बर तक चलेगी। अब तक 120 घरों में आईआरएस किया जा चुका है।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि यह बीमारी बालू मक्खी के काटने से होती है, जिसमें मरीज को दो हफ्तों से अधिक दिनों का बुखार, तेजी से वजन का घटना, भूख का ना लगना, अक्सर तिल्ली या कभी कभी यकृत के बढ़ जाने से पेट का फूल जाना जैसे लक्षण दिखाई देते है।
कालाजार में चेहरे, पैर, हाथ, पेट का रंग गहरा काला पड़ जाता है। इसलिए इसे काला बुखार भी कहा जाता है। इस रोग से बचाव के लिए साल में दो बार प्रभावित क्षेत्र में कीटनाशक का छिड़काव कराया जाता है। जिसमें आशा बहू द्वारा घर-घर जाकर संदिग्ध मरीजों के बारे में पता लगाया जाता है और उनका समय रहते इलाज कराया जा सके।
निरीक्षण के दौरान सहयोगी संस्था पाथ से जिला कोर्डिनेटर प्रज्ञा त्रिपाठी, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी शालिनी चौधरी व मलेरिया इंस्पेक्टर नवनीत राय उपस्थित रहे। ज्ञात हो कि गत वर्ष अहिबरनपुर में कालाजार का एक रोगी मिला था।
जानें आईआरएस की सावधानियां..
छिड़काव से पहले सभी कमरों को खाली कर दें,रसोई में छिड़काव करने से पहले सभी खाद्य पदार्थों को रसोई से बाहर कर दें। घर के सारे कमरों की दीवारों पर छह फीट की ऊंचाई तक छिड़काव करवाएं।
कीटनाशक का छिड़काव दस हफ्तों तक प्रभावशाली होता है। इस अवधि के दौरान दीवारों पर पेंट, मिट्टी, चूना न कराएँ क्योंकि इससे कीटनाशक का प्रभाव कम हो जाएगा।कीटनाशक का छिड़काव कराने से कम से कम चार घंटे तक घर से बाहर रहें, घर के अंदर प्रवेश न करें।



