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चिकित्सा स्वास्थ्य में मिला बड़ा फर्जीवाड़ा

15 नर्सिंग ऑफिसर फर्जी तरीके से नियुक्त, धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज

 

प्रदेश स्तर पर और भी फर्जी नर्सिंग ऑफिसर निकलने की आशंका 

बलिया। लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। अब तो चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग का सरकारी सिस्टम में सेंध लगाने वालों से अछूता नहीं रहा है। यहाँ तक कि झोलाछाप डॉक्टर को दवाओं का नाम और उसके फायदे पता होंगे। लेकिन ऐसे फर्जी नर्सिंग ऑफिसर सरकारी अस्पतालों में तैनात रहे, जिन्हें ओआरएस घोल के बारे में भी जानकारी नहीं थी और नियुक्ति दे दी गयी। मामला यूपी के बलिया जनपद में फर्जी कागजात के आधार पर स्वास्थ्य विभाग में नौकरी हथियाने का है। जिसकी गंभीरता से लेते हुए सीएमओ ने 15 नर्सिंग आफीसर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। यह सब सीएमओ की बेहतर कार्यशैली के चलते संभव हो सका है, नहीं तो विभाग के अधिकारी मलाई खाते रहते और फर्जी नियुक्तियां होती रहती।मिली जानकारी के अनुसार यह सभी नर्सिंग ऑफिसर बीते वर्ष जुलाई के चार महीने पहले से कार्य कर रहे थे। जिसमें यह सभी स्वास्थ्य महानिदेशक से फर्जी तरीके से पोस्टिंग लेटर जारी करवा लिया। आरोपी अलग-अलग अस्पतालों में नर्सिंग आफीसर पद पर तैनात हो गए और कार्य करने लगे । वहीं जब इन नर्सिंग ऑफिसर की अस्पताल में तैनाती होने पर उन्हें डायरिया वाले मरीज को ओआरएस घोल देने की बात कही तो यह सभी फर्जी नर्सिंग ऑफिसर हक्का बक्का रह गए और पूछने लगे कि ओआरएस क्या होता है। ऐसा होने पर सीएमओ बलिया को यह सभी नर्सिंग ऑफिसर संदिग्ध लगने पर इनका सत्यापन करवाने लगे तो सभी गायब हो गए तब इस फर्जी नियुक्ति से धीरे धीरे पन्ने खुलने लगे। बता दें कि यह मामला फर्जी कागजात के आधार पर नियुक्ति में सीएमओ कार्यालय से लेकर स्वास्थ्य महानिदेशालय तक के अधिकारियों व कर्मचारियों के मिली भगत की आशंका जताई जा रही है। हालांकि मामला प्रकाश में आने के बाद महानिदेशक ने नियुक्ति से जुड़ी रिपोर्ट भी तलब कर ली है।

ओआरएस घोल से खुला फर्जी नियुक्ति का राज.. 

जब बलिया के सीएमओ डॉ़ विजयपति द्विवेदी ने बताया कि सीएचसी पर शिविर लगा हुआ था। इस दौरान वहां पर तैनात नर्सिंग आफीसर से हीटवेव के दौरान ओआरएस घोल की उपयोगिता के बारे में पूछा गया जिसका सहीं जवाब नहीं दे सकीं। सभी फर्जी नर्सिंग ऑफिसर पूछने लगे ओआरएस खाया जाता है कि पिलाया जाता है इसके बारे में उन्हें पता तक नहीं था। इसके बाद शक होने पर उन्होंने सभी 15 नई नर्सिंग आफीसर के दस्तावेज का दोबारा सत्यापन करवाना शुरू किया तो सब फरार हो गए।अचानक गैर हाजिर रहने को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी करने पर इनमें से किसी ने जवाब भी नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने महानिदेशालय को इस संबंध में पत्र भेजने के साथ ही एफआईआर भी दर्ज करवा दी। डिप्टी सीएमओ डा. पदमावती ने बताया कि पूरे मामले की जांच की जा रही है। इसमें और भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि यह सभी बीते वर्ष जुलाई से लगाकर चार माह पहले से ही कार्य करते रहे।

फर्जी कागजों के आधार पर लाखों रुपये ले चुके वेतन..

सीएमओ के अनुसार, नवम्बर 2023 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से स्वस्थ्य विभाग में नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया। इच्छुक अभ्यार्थियों ने आवेदन किया। जरूरी औपचारिकता पूरी करने के साथ ही उनके अभिलेखों की जांच की गयी। इसके बाद पात्र मिलने पर नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया। नर्सिंग आफीसर के पद पर नौकरी मिलने के बावजूद कुछ दिनों तक वे भटकते रहे।इसके बाद तत्कालीन सीएमओ ने उनकी पोस्टिंग के लिए महानिदेशालय कार्यालय को पत्र लिखा। उनके लेटर के आधार पर अलग-अलग अस्पतालों में उनकी तैनाती कर दी गयी। सूत्रों की मानें तो नौकरी मिलने के बाद सभी को हर माह 60 से 70 हजार रुपये बतौर वेतन जारी होने लगा। कुल मिलाकर फर्जी अभिलेखों के आधार पर नौकरी करने वाले अब तक लाखों रुपये वेतन भी ले चुके हैं।

सीएमओ कार्यालय फर्जी पोस्टिंग का सही तरीके से नहीं कर सका सत्यापन 

फर्जी पोस्टिंग लेटर पर महानिदेशक और नर्सिंग अनुभाग के जॉइंट डायरेक्टर के दस्तखत भी थे। यह पत्र हूबहू उसी तरह थे, जैसे महानिदेशालय से सीएमओ को भेजे जाते हैं।आशंका जताई जा रही है कि बलिया सीएमओ कार्यालय से यह दस्तावेज दोबारा महानिदेशालय भेजकर उनका सत्यापन करवाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। हालांकि नए सीएमओ डॉ़ विजयपति द्विवेदी ने आशंका होने पर जांच शुरू करवाई तो एक एक करके फर्जीवाड़े की परतें खुलती गईं। उन्होंने इन सभी के दस्तावेज दोबारा महानिदेशालय भेजने के साथ ही आरोपितों को भी नोटिस जारी कर अपने मूल दस्तावेज सीएमओ कार्यालय लाकर सत्यापन करवाने को कहा। वहीं सूत्रों की माने तो इस पूरे खेल में तत्कालीन सीएमओ और स्थापना लिपिक के कर्मचारी शामिल है। अब मामला पुलिस तक पहुंचने के बाद सही जांच हुई तो इसमें कईयों पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।

यह पुराना प्रकरण है। फर्जी नियुक्ति लेटर जालसाजी से डाउनलोड कर लिया गया है। इसके लिए जांच कमेटी गठित कर दी गई है। जांच कमेटी रिपोर्ट आने पर उसी के आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. रतनपाल सिंह सुमन

महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं उप्र

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