स्वामी गुणेशानन्द ने श्रीमद भागवत सत्संग में भक्ति का किया वर्णन
रामकृष्ण मठ कार्यक्रम में तीसरे दिन सत्संग में स्वामी ने भक्ति का दिखाया मार्ग

लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी के निरालानगर स्थित रामकृष्ण मठ में रामकृष्ण देव की 189वीं जयंती के उपलक्ष्य में 9-दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सोमवार को श्रीमद भागवत सत्संग के तीसरे दिन सायंकाल भगवान श्रीरामकृष्ण की संध्या आरती के पश्चात मठ अध्यक्ष पूज्य स्वामी मुक्तिनाथानन्द की अध्यक्षता में चल रहे 4 दिवसीय श्रीमद भागवत सत्संग रामकृष्ण मठ राजकोट से आए हुए स्वामी गुणेशानन्द ने श्रीमद् भागवत के ‘‘कपिल – देवहूति संवाद’’ में अहैतुकी भक्ति और उसके स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा कि प्रेम से युक्त सेवा ही भक्ति है । जैसे गंगाजी की असंख्य धाराएं समुद्र में अवीरत बहती है वैसे जब साधक के मन की असंख्य धाराएं केवल परमात्मा में लगी रहे तब उसे भक्ति कहते है। उन्होंने तीनो भक्ति का सार बताते हुए कहा कि तामसिक भक्ति वोह है जो भक्ति दूसरों को हानि पहुंचाने के लिए की जाए,उसे तामसिक भक्ति कहते है और राजसिक भक्ति वोह है जो संसार के भोगों की प्रप्ति के लिए की जाए वो राजसिक भक्ति है। सात्विक भक्ति वोह है जो भक्ति केवल भगवान को प्राप्त करने के लिए की जाए उसे सात्विक भक्ति कहते है। ऐसी भक्ति करने वाले भगवान से मोक्ष तक नहीं चाहते है। उन्होंने कहा कि भगवान उनको मुक्ति देना चाहते है पर वो मुक्ति भी नहीं चाहते है। वो केवल भगवान से उनकी सेवा ही महते है । भक्त कहते है हमें मुक्ति कभी नहीं चाहिए हम केवल आपकी सेवा और आपके गुणगान गाते रहेंगे।ये भक्तों की परम उच्च अवस्था है जहां भक्त मुक्ति को भी तुच्छ गिनता है। वहीं कार्यक्रम का संचालन रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज द्वारा किया गया ।प्रवचन के उपरांत सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। कल यानि मंगलवार को यह भागवत कथा जारी रहेगी।