केजीएमयू कर्मचारी परिषद ने बैंकिंग से त्रस्त होकर कुलपति को लिखा पत्र
इंडियन बैंक की कार्यशैली से जूझ रहे कर्मचारी, लगाई गुहार

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। केजीएमयू में समस्याएं आखिरकार थमने का नाम नहीं ले रही हैं। वहीं संस्थान परिसर में स्थापित इंडियन बैंक से त्रस्त आकर कर्मचारी परिषद में कुलपति प्रो सोनिया नित्यानंद को पत्र जारी कर दूसरी बैंक शाखाओं को खोलने की मांग की है।
परिषद का कहना है कि संस्थान में जहाँ हजारों की संख्या में कर्मचारी कार्यरत हैं और प्रतिदिन प्रदेश भर से मरीज व उनके परिजन आते हैं और बैंकिंग सेवाये आवश्यक होती है। परिषद अध्यक्ष विकास सिंह एवं महामंत्री अनिल कुमार द्वारा संयुक्त रूप से कहा कि वर्तमान में विश्वविद्यालय परिसर में स्थापितं इंडियन बैंक वर्षों से बाधित सेवाएं दे रहा है। इंडियन बैंक की कार्यप्रणाली में नकारात्मकता, लापरवाही एवं कर्मचारी-अहित की प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है।
परिषद: इंडियन बैंकिंग की प्रमुख समस्याओं में..
नेटवर्क की लगातार समस्या बैंक में आए दिन सर्वर डाउन अथवा नेटवर्क की समस्या बनी रहती है। जिससे कर्मचारियों को नकद निकासी, पासबुक अपडेट, फंड ट्रांसफर जैसी सामान्य सेवाओं के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। एटीएम सेवाओं की ख़राब स्थिति होने के चलते एटीएम अधिकतर समय खाली
रहते हैं। जिससे रात-दिन कार्य करने वाले कर्मचारी, रेजिडेंट डॉक्टर एवं मरीजों के परिजन संकट में पड़ जाते हैं। इसके अलावा वेतन खाता से जुड़ी सुविधाओं का अभाव अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों की तरह इंडियन
बैंक अपने वेतन खाता धारकों को न तो पर्याप्त बीमा सुरक्षा देता है, न ही नगर निगम में आने वाली जमीनों के लिए होम लोन, पर्सनल लोन, वाहन ऋण जैसी योजनाओं में रियायत या प्राथमिकता । साथ ही यह जारी पत्र में अवगत कराया कि
कर्मचारी हित की योजनाएं केवल कागजों तक सीमित रह गयी हैं। जिसमें 20 दिसम्बर 2022 को बैंक
द्वारा घोषित बीमा योजना अभी तक धरातल पर लागू नहीं हो सका है। सिर्फ एक्सीडेंटल इंश्योरेंस की बात की जाती है, जबकि अन्य बैंक साधारण मृत्यु पर भी लाभ प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि अन्य बैंक को आने से रोकने का प्रयास वर्षों से इंडियन बैंक ने विश्वविद्यालय में
अपनी जड़ें इस प्रकार मजबूत कर ली हैं कि किसी अन्य बैंक को प्रवेश का अवसर नहीं दिया जा रहा। जिससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और बेहतर सेवाएं संभव नहीं हो पा रहीं। इसी क्रम में कर्मचारी परिषद ने कुलपति से आग्रह करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का दृष्टिकोण सदैव पारदर्शिता, सेवा व कर्मचारी हित में रहा है। संस्थान में एक नई राष्ट्रीयकृत बैंक (जैसे भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक आदि) की शाखा खोली जाए।
जिससे कर्मचारियों को बैंकिंग सुविधाओं में विकल्प मिले और बैंकिंग सेवाओं में प्रतिस्पर्धा उत्पन्न होकर सेवा स्तर में सुधार हो सकेगा। कर्मचारियों के हित को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा। जब संस्थान में बैंकिंग सेवाये धराशाई हो जाए तो कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ना स्वाभाविक है। ऐसे में संस्थान प्रशासन को त्वरित निर्णय लेना चाहिए।