उत्तर प्रदेश

पीड़ित पत्रकार ने पुलिस प्रशासन को सौपे साक्ष्य

 सोशल मीडिया पर फर्जी आईडी बनाकर छवि धूमिल करने का प्रयास

 

अमेठी। लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। सोशल मीडिया पर फर्जी आईडी से छवि धूमिल करने के प्रयास पर मान्यता प्राप्त पत्रकार गंगेश पाठक ने पुलिस प्रशासन को साक्ष्य देकर कार्रवाई की गुहार लगाई है।

मंगलवार को पत्रकार ने सोशल मीडिया पर फर्जी आईडी द्वारा छवि धूमिल किए जाने का गंभीर आरोप लगाते हुए थाना जगदीशपुर समेत सभी सक्षम अधिकारियों से निष्पक्ष और समयबद्ध जांच की मांग की है।

श्री पाठक ने बताया कि “ग्राम पंचायत मंगौली” और “दूध का दूध पानी का पानी” नामक फेसबुक आईडी,पेज से उनके नाम से आपत्तिजनक, भ्रामक और मानहानिकारी टिप्पणियां साझा की जा रही हैं।

22 अगस्त को उन्हें ऐसे पोस्ट की जानकारी मिली, जिसके बाद उन्होंने लगातार तीन अलग-अलग शिकायतें,थाना जगदीशपुर, ईमेल, जनसुनवाई पोर्टल, जिला प्रशासन, साइबर सेल और मानवाधिकार आयोग तक डिजिटल प्रमाण, स्क्रीनशॉट, सभी साक्ष्य के साथ भेजीं।

पत्रकार का कहना है कि सांसदों, विधायकों, जनप्रतिनिधियों व ग्राम सभाओं से जुड़ी कई भ्रामक पोस्टें भी इन फर्जी आईडी से साझा की जा रही हैं। कई बार अखबार की कटिंग या पुरानी खबरों को भी संदर्भ से हटाकर, गलत इरादे से प्रसारित किया गया।जिससे पत्रकारिता की छवि और क्षेत्रीय सामाजिक समरसता को नुकसान पहुँचे।

उन्होंने बताया कि डीएम, एसपी, सीओ मुसाफिरखाना, थाना अध्यक्ष जगदीशपुर और साइबर सेल इंस्पेक्टर सभी को ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से शिकायत, आवेदन और सारे प्रमाण भेजे गए हैं। अब तक किसी भी स्तर से एफआईआर दर्ज न होना गंभीर सवाल है।

श्री पाठक ने कहा, “मैंने बतौर पत्रकार और नागरिक अपनी जिम्मेदारी निभाई सारे साक्ष्य सौंप दिए। अब यह पुलिस-प्रशासन की जिम्मेदारी है कि शासनादेश और डीजीपी,मुख्यमंत्री के निर्देशों के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं हो रही। क्या थाना अध्यक्ष और क्षेत्राधिकारी मुसाफिरखाना अपनी जिम्मेदारी निभा पाएंगे या फिर यह सवाल अधूरा ही रहेगा।

श्री पाठक ने यह भी कहा कि समाज में बिना रोक-टोक फर्जी आईडी बनाकर नाम छुपाकर भ्रामक या झूठी बातें फैलाना ठीक वैसा ही है जैसे कोई ‘डिजिटल वायरस’ हमारे सामाजिक ताने-बाने और जनविश्वास को कमजोर करता है।

यह प्रवृत्ति केवल किसी व्यक्ति की छवि के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज और लोकतांत्रिक संवाद के लिए खतरा है। यदि शासन-प्रशासन ने समय रहते सख्ती नहीं दिखाई, तो ऐसे गैंग पैसे लेकर किसी की भी छवि बिगाड़ सकते हैं और सामाजिक सौहार्द को गहरी क्षति पहुँचा सकते हैं। इसलिए इस पर कड़ी निगरानी और कठोर कार्रवाई आवश्यक है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह फर्जी आईडी उनकी नहीं है और भविष्य में भी अगर इससे कोई भी पोस्ट, टिप्पणी या भ्रामक आपत्तिजनक लेखन सामने आता है तो उसके लिए वे जिम्मेदार नहीं होंगे।

पत्रकार की मांग है कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष डिजिटल-फोरेंसिक जांच कराई जाए, दोषियों की शिनाख्त कर नियमानुसार सख्त कार्रवाई हो और आगे से ऐसे मामलों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित किया जाए।

पुलिस/प्रशासन का पक्ष: समाचार लिखे जाने तक थाना अध्यक्ष जगदीशपुर और क्षेत्राधिकारी मुसाफिरखाना को व्हाट्सएप,मेल के माध्यम से प्रतिक्रिया हेतु संदेश भेजा गया था, पर समाचार प्रेषण तक कोई अधिकारिक उत्तर प्राप्त नहीं हुआ। प्रतिक्रिया मिलने पर उसे समाचार में शामिल किया जाएगा।

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