उत्तर प्रदेशजीवनशैलीबड़ी खबर

सुरक्षित गर्भपात कराने का बढ़ा ग्राफ

89 प्रतिशत महिलाएँ पहली तिमाही में ही कराया गर्भपात

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। महिलाओ में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता से गर्भपात का ग्राफ बढ़ रहा है। बुधवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन परिवार नियोजन कार्यक्रम के महाप्रबंधक डॉ.सूर्यांशु ओझा ने बताया कि सुरक्षित गर्भसमापन को लेकर सरकार के नियमित प्रयासों और नीतिगत सुधारों के उत्साहजनक परिणाम देखने को मिल रहें हैं। प्रशिक्षित प्रदाताओं व सुविधाओं तक पहुँच और कानूनी प्रावधानों की बेहतर जानकारी ने अधिक महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात सेवाएँ प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाया है। जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर और प्रजनन अधिकार मज़बूत हुए हैं।

डॉ.ओझा ने बताया कि वर्ष 2023-24 में 33,966 महिलाओं की अपेक्षा 2024-25 में प्रदेश में कुल 1,01,026 महिलाओं ने सुरक्षित गर्भपात की सेवाएं ली। जिसमें से 89 प्रतिशत महिलाओं ने पहली तिमाही में गर्भपात कराया। इससे यह साफ़ है कि गर्भपात और अपने स्वास्थ्य के प्रति महिलाएँ अधिक सजग हो रही हैं। अधिकतर महिलाएँ गर्भधारण के शुरुआत में ही सुरक्षित गर्भपात की सेवाएं लेने अस्पतालों तक पहुँच रही हैं। जिससे उनकी जान को जोखिम कम हुआ है।

डॉ. ओझा ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में महिलाएँ औषधीय और सर्जिकल दोनों तरह के गर्भपात की सुविधा ले सकती हैं। प्रदेश के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और उससे उच्च स्तर के अस्पतालों में औषधीय गर्भपात की सुविधा जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में सर्जिकल गर्भपात की सुविधा उपलब्ध है। सामुदायिक स्तर पर आशा कार्यकर्ता से भी गर्भपात और गर्भपात-पश्चात् गर्भनिरोधक साधनों के बारे में परामर्श देने में सक्षम हैं।

सुरक्षित गर्भपात मातृ स्वास्थ्य का बना अहम मुद्दा

डॉ. मालविका राम मनोहर लोहिया अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मालविका मिश्रा का कहना है कि सुरक्षित गर्भपात मातृ स्वास्थ्य का अहम मुद्दा है। यह केवल एक स्वास्थ्य सेवा नहीं है, बल्कि महिलाओं की गरिमा और मानवाधिकारों की रक्षा का मामला भी है। इसलिए ज़रूरी है कि समाज इस विषय पर खुली और संवेदनशील चर्चा करे जिससे कि महिलाओं को पता चले कि उनके पास सुरक्षित, कानूनी विकल्प हैं।

उन्होंने बताया कि अप्रशिक्षित प्रदाताओं या अवैध क्लीनिकों से असुरक्षित गर्भपात करवाने से संक्रमण, भारी रक्तस्राव, बांझपन या यहाँ तक कि मृत्यु जैसी गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं। सही जानकारी और समय पर उचित सलाह से इसे पूरी तरह से रोका जा सकता है। वहीं किशोरावस्था में गर्भधारण के कई खतरे हैं जबकि इसे पूरी तरह से टाला जा सकता है। आज के सामाजिक परिवेश में, यह बेहद महत्वपूर्ण है कि हम गर्भनिरोधक और सुरक्षित गर्भपात के विकल्पों पर खुलकर बात करें जिससे कि हर महिला को सही ज्ञान, प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी तक पहुँच और परिवार का सहयोग मिले और असुरक्षित गर्भपात से होने वाली मृत्यु पर रोक लगे।

डॉ. मालविका ने बताया गर्भ की पहली और दूसरी तिमाही में गर्भपात के सुरक्षित तरीके उपलब्ध हैं। हांलाकि दूसरी तिमाही की अपेक्षा पहली तिमाही की शुरुआत में गर्भपात अधिक सुरक्षित होता है। सुरक्षित गर्भपात दो चिकित्सकीय रूप से स्वीकृत तरीकों से कराया जा सकता है। औषधीय या मेडिकल गर्भपात, जिसमें दवाओं का उपयोग किया जाता है और आमतौर पर सात सप्ताह तक की गर्भावस्था के लिए किया जाता है। दूसरा है सर्जिकल गर्भपात, जिसमें गर्भावस्था के चरण के आधार पर शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है। यह महत्वपूर्ण है कि गर्भपात हमेशा एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (आरएमपी) की देखरेख में ही कराया जाए। जिससे कि सुरक्षा और देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। मेडिकल और सर्जिकल, दोनों ही विधियाँ सब महिलाओं और किशोरियों के लिए उचित हैं।

एमटीपी अधिनियम ने गर्भपात सेवाओं को दी कानूनी सुरक्षा..

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार भारत में कुल मातृ मृत्यु दर में असुरक्षित गर्भपात से होने वाली मौतों का योगदान लगभग आठ प्रतिशत है । इसका मतलब अभी भी कई महिलाएँ अपने कानूनी अधिकारों को नहीं जानती या उचित चिकित्सा सहायता लेने में डरती या शर्मिंदगी महसूस करती हैं। गुणवत्तापूर्ण गर्भपात सेवाओं तक बेहतर पहुँच और गर्भपात कानून की मान्यता के बारे में जानकारी बढ़ाकर असुरक्षित गर्भपात से होने वाली मातृ मृत्यु को रोका जा सकता है।

चिकित्सीय गर्भसमापन (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एमटीपी) अधिनियम, 1971, सुरक्षित गर्भपात सेवा के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है। इसके तहत कई परिस्थितियों में 20 सप्ताह तक महिलाओं को गर्भावस्था को समाप्त करने की कानूनी अनुमति दी गई है। गर्भपात केवल सरकारी अस्पताल या मान्यता प्राप्त प्राइवेट अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञ या एमबीबीएस डॉक्टर से ही कराना मान्य है।

वर्ष 2021 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया। जिससे कुछ विशेष मामलों में गर्भपात की समय सीमा को बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दिया गया। यह संशोधन बलात्कार पीड़ितों, नाबालिग और अन्य कमज़ोर महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा, गर्भनिरोधक विफलता के कारण अनचाही गर्भावस्था के मामलों में भी गर्भपात की अनुमति है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button