डॉक्टरों की सूझबूझ से महिला की बची जान
चिकित्सकों ने तत्काल ऑपरेशन करने का लिया निर्णय, रोगी को दी नई जिंदगी

लखनऊ,भारत प्रकाशन न्यूज़। राजधानी में डॉक्टरों की सूझबूझ से एक महिला की जान बच गयी। बीते गुरुवार को राजधानी की 30 वर्षीय महिला ओम नगर आलमबाग की निवासी पेट दर्द एवं बेहोशी की हालत में 50 सैया संयुक्त चिकित्सालय चंदननगर के आकस्मिक चिकित्सा यूनिट में परिजनों द्वारा लाई गई थी।
जिसमें डॉक्टरों की टीम ने तत्परता दिखाते हुए महिला का आकस्मिक उपचार करने का निर्णय लिया। वहीं चिकित्सालय में सर्जन डॉ. देवाशीष शर्मा उनकी ड्यूटी में महिला आयी थी। उन्होंने रोगी को देखने पर पाया कि उसकी बच्चेदानी की ट्यूब फट गई है और स्थिति अत्यंत गंभीर है ।
डॉ. शर्मा गंभीरता का आकलन करते हुए तत्काल बेहोशी के डॉक्टर एवं अन्य सहयोगियों को बुलाकर रोगी की सभी जांच आकस्मिक रूप से कराकर ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। ऐसी हालत में ज्यादा खून बह चुका था, उसे रक्त चढ़ाने की भी आवश्यकता थी। डॉक्टरों द्वारा चार यूनिट रक्त का भी इंतजाम किया गया ।
रात्रि में रोगी का ऑपरेशन करने के उपरांत सर्जन एवं बेहोशी के डॉक्टर रात भर उसकी निगरानी में देखरेख करते रहे। वहीं शुक्रवार को महिला रोगी स्वस्थ है एवं खतरे से बाहर है।
जानें एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बारे में क्या कहते हैं डॉक्टर..
जब कभी सामान्य रूप से प्रेगनेंसी बच्चेदानी के अंदर न होकर के असामान्य रूप से बच्चेदानी के बाहर होती है तो यह मां एवं बढ़ रहे बच्चे, दोनों के लिए खतरा बन जाता है।
इस केस में प्रेगनेंसी बच्चेदानी की ट्यूब में थी एवं ट्यूब के फटने से मां गंभीर हो गई थी। साथ ही लगभग 1 लीटर खून पेट के अंदर भरा हुआ था।
चिकित्सकों की तत्परता एवं उनकी कर्मठता से एक मां की जान बचाई जा सकी। वहीं
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर आनंद त्रिपाठी ने बताया कि आकस्मिक रूप से आए हुए ऐसे केस में मरीज गंभीर होता है। तत्काल ऑपरेशन करना होता है,फिर भी जिस प्रकार का उत्कृष्ट कार्य डॉक्टर देवाशीष, डॉक्टर अभिषेक राय एवं उनकी पूरी टीम ने किया है।
इस सराहनीय कार्य के लिए मैं डॉक्टरों की समस्त टीम को बधाई देता हूँ । डॉ त्रिपाठी ने कहा कि भविष्य में भी सभी सर्जन ऐसे ही आकस्मिक स्थितियों में रोगियों की जान बचाते रहेंगे ,मरीजों की सेवा के लिए तत्पर रहेंगे।



