जलवायु परिवर्तन से निपटने को जन सहभागिता की जरुरत – हितेश साहनी
विश्व के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। बढ़ते प्रदूषण व जलवायु परिवर्तन से देश दुनिया के लिए चुनौती का रूप ले लिया है। आज विश्व के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है, जिससे निपटने की दिशा में सरकार के साथ ही समुदाय को भी जागरूक बनने की सख्त जरूरत है। जलवायु वैज्ञानिकों के मुताबिक़ 19वीं सदी के अंत से अब तक पृथ्वी की सतह के औसत तापमान में वृद्धि के साथ ही समुद्र के जल स्तर में भी वृद्धि दर्ज की गई है।
यह तथ्य हमें सचेत करते हैं कि जलवायु परिवर्तन की दिशा में हम आज सचेत नहीं हुए तो आने वाले समय में गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। मंगलवार को विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर यह जानकारी पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया के प्रोग्राम डायरेक्टर हितेश साहनी ने दी।
उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन गंभीर चुनौती बनाने में पर्यावरण प्रदूषण की अहम भूमिका है, विश्व में तेजी से बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण ने विकसित राष्ट्र बनने की डगर तो आसान की है लेकिन जलवायु परिवर्तन से होने वाली समस्याओं को जन्म भी दिया है। कारखानों और गाड़ियों के साथ ही धूल, धुंआ और धूम्रपान व अन्य वजहों से आज पर्यावरण प्रदूषण की गिरफ्त में देश के कई बड़े शहर हैं।
स्वच्छ हवा में सांस लेना तक दूभर हो गया है। यह स्थिति हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल ही रही है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पर नियन्त्रण के लिए कुछ जरूरी कदम तत्काल उठाने की जरूरत है, जिसमें सबसे पहली जरूरत तो यही है कि हम अपनी आदतों में जरूरी बदलाव लायें। सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करें, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दें, प्लास्टिक का उपयोग बंद करें, ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करें आदि। यही छोटी-छोटी आदतें हमारे भविष्य को सुरक्षित बनाने में मददगार हो सकती हैं।
प्लास्टिक ग्लोबल वार्मिंग का बहुत बड़ा कारण है क्योंकि यह जल्दी नष्ट नहीं होती, इसलिए इसको चलन से बाहर करना आज की नितांत आवश्यकता है। औद्योगीकरण या शहरीकरण के नाम पर जंगलों या वनस्पतियों को उजाड़ा जाता है तो उनके स्थान पर वृक्षारोपण को अनिवार्य कर देना चाहिए।