
लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। संत साँई चाँडूराम के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की गई। शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने पूज्य सन्त सांई चाँडूराम साहिब के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा कि पूज्य सन्त सांई चाँडूराम साहिब को अपने पूज्य पिता सन्त साईं आसूदाराम साहिबजी के सत्यलोक सिधारने के पश्चात मात्र तेरह वर्ष की अल्पायु में ही गुरु गद्दी सँभालनी पड़ी।
आरम्भ से ही वेदान्त में रुचि रखने वाले सन्त चाँडूराम साहिब ने किशोरावस्था में ‘गुरुवाणी, श्रीमद्भागवतगीता, रामचरितमानस इत्यादि ग्रन्थों का गहन अध्ययन, मनन व चिन्तन किया। उन्होंने अनेक तर्कसंगत जिज्ञासुओं व वरिष्ठ सन्त-ज्ञानियों से गुरु समान सम्मान भी पाया।
जिज्ञासुओं के समाधान के साथ ही वे इस निश्चय पर पहुँचे कि एक सच्चे ईश्वर-जिज्ञासु के लिए एक मात्र गुरुकृपा ही सर्वोपरि साधन है, शेष सभी साधन गौण हैं, गुरु बिनु भवनिध तरहि न कोई, जो विरंचि शंकर सम होई। उन्होंने कहा कि
सन्त सांई चाँडूराम साहिब ने ऐसा निश्चयपूर्वक जानकर ईश्वर के प्रति अपना पूर्ण आत्मसमर्पण कर दिया। उन्होंने अपने अहमत्व का दावा त्यागकर स्वयं को अपने सद्गुरु एवं ईश्वर को समर्पित कर दिया; समाज में फैली बुराइयों और रूढ़ियों का कठोर शब्दों में खण्डन किया और समाज सुधार के लिए सदैव तत्पर रहे।
वे एक वृहत् समाज को सदैव अपने सात्विक मार्गदर्शन से प्रेरित करते रहे। उनके दिव्यलोक गमन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। ऐसे महान सन्त अपने स्वरूप में एकाकार हो जाते हैं। उनका जीवन हमें सदैव प्रेरणा प्रदान करता रहेगा। हम उनके प्रति हार्दिक श्रद्धान्जलि अर्पित करते हैं।



