उत्तर प्रदेशजीवनशैली

बच्चों को डायरिया से बचाना स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकता- डॉ. मिश्र 

‘डायरिया से डर नहीं’ कार्यक्रम का किया शुभारम्भ

 

बदायूं। लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। बच्चों को डायरिया से बचाने की मुहिम शुरू हो गयी है। गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पीएसआई-इंडिया और केन्व्यू संस्था के सहयोग से जिले में “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम की शुरुआत एक स्थानीय होटल में की गयी। वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामेश्वर मिश्रा की अध्यक्षता में दीप प्रज्वलन कर शुभारम्भ किया।मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि शून्य से पांच साल तक के बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाना स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकता में शामिल है। क्योंकि इस आयु वर्ग के बच्चों की होने वाली कुल मौत का एक प्रमुख कारण डायरिया भी है। उन्होंने कहा कि डायरिया को नियंत्रित करने में ओआरएस अमृत के समान है, बस जरूरत है कि उसे सही मात्रा में और समय से बच्चे को दिया जाये। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस पर नियन्त्रण के लिए समय-समय पर चलने वाले दस्तक अभियान के तहत घर-घर जाकर समुदाय को जागरूक किया जाता है। “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम से इसको और बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी डायरिया के प्रति जागरूकता लानी जरूरी है। उन्होंने कहा कि फील्ड विजिट पर जो संस्थाएं स्वास्थ्य इकाइयों पर जाती हैं तो उनकी भी जिम्मेदारी है कि वह निगाह रखें कि वहां ओआरएस व जिंक की उपलब्धता है कि नहीं और किसी तरह की दिक्कत है तो सूचित जरूर करें। “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए पीएसआई-इंडिया के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अनिल द्विवेदी ने बताया कि कार्यक्रम के तहत आशा, आंगनबाड़ी, एएनएम और महिला आरोग्य समितियों के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें डायरिया की सही पहचान और बचाव के बारे में बताया जाएगा। ओआरएस की महत्ता समझाई जाएगी। इसके अलावा मीडिया के हर प्लेटफार्म का इस्तेमाल करते हुए डायरिया के लक्षण, कारण और नियन्त्रण सम्बन्धी जरूरी सन्देश जन-जन में प्रसारित किया जाएगा। सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) सामग्री अस्पतालों के प्रमुख स्थलों पर प्रदर्शित की जाएगी। फ्रंटलाइन वर्कर को काउंसिलिंग के प्रमुख बिन्दुओं और शीघ्र स्तनपान और छह माह तक सिर्फ स्तनपान के फायदे के बारे में ट्रेनिंग दी जाएगी। हैण्डवाशिंग की सही विधि के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और खंड विकास कार्यालयों को दीवार लेखन के माध्यम से आच्छादित किया जायेगा और जन-जन तक डायरिया से बचाव के प्रमुख सन्देश पहुंचाए जायेंगे। डायरिया चैम्पियन भी चयनित किए जाएंगे। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार और शिक्षा विभाग के साथ ही अन्य विभागों को भी कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा। निजी क्षेत्र के चिकित्सकों और अस्पतालों को भी कार्यक्रम से जोड़कर ओआरएस कार्नर स्थापित करने और डायरिया के केस की रिपोर्टिंग करने के लिए प्रेरित किया जायेगा। डायरिया से डर नहीं कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के सात जिलों बदायूं, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, मथुरा, उन्नाव, गोंडा और श्रावस्ती के साथ बिहार के तीन जिलों सुपौल, पूर्णिया और दरभंगा में पीएसआई इंडिया और केन्व्यू के सहयोग से चलाया जायेगा। इस मौके पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. मोहम्मद असलम ने कहा कि यदि डायरिया की शुरुआत में ही पहचान कर सही मात्रा में ओआरएस दिया जाए तो गंभीर स्थिति तक पहुँचने से बच्चे को बचाया जा सकता है। गंभीर स्थिति में समय पर बच्चे को अस्पताल ले जाया जाए तो उसको जोखिम से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में तो अब लिक्विड के रूप में निर्मित ओआरएस का घोल भी उपलब्ध है। उन्होंने रोटा वायरस वैक्सीन के बारे में भी जानकारी दी। प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य के नोडल अधिकारी डॉ. सनोज मिश्रा ने कहा कि 24 घंटे में यदि तीन बार पतली दस्त आ रही है तो यह डायरिया के लक्षण हो सकते हैं और यह लम्बे समय तक बनी रहे तो यह गंभीर डायरिया का रूप ले सकती है। साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की डॉ. पल्वीन कौर ने कहा कि फ्रंटलाइन वर्कर को समय-समय पर संवेदीकृत करने से निश्चित रूप से डायरिया के लक्षण और बचाव से जुड़े जरूरी संदेशों को समुदाय तक पहुँचाया जा सकता है । डायरिया के केसों की रिपोर्टिंग पर भी बल दिया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष डॉ. इत्तेहाद आलम ने कहा कि डायरिया के अधिकतर केस निजी क्षेत्रों में जाते हैं इसलिए उनको संवेदीकृत करने से डायरिया के नियंत्रण में सफलता मिलेगी। इसी मौके पर राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के नोडल अधिकारी डॉ. मोहन झा, डिविजनल अर्बन हेल्थ कोऑर्डिनेटर डॉ. गंगा सरन, डिविजनल कार्यक्रम प्रबंधक मो. शाहिद हुसैन, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक कमलेश शर्मा, डिस्ट्रिक्ट कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर (डीसीपीएम) अरविन्द राना, आईसीडीएस और शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि के साथ विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, पीएसआई इंडिया से सुभ्रीत खरे, अजय कुमार, राजेश कुमार, चिकित्सा अधिकारी और स्टाफ नर्स उपस्थित रहीं।

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