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फीमोरल हेड खिसकने से प्रारंभिक गठिया होना संभव -डॉ. प्रतीक रस्तोगी

GIMS एवं गलगोटिया विश्वविद्यालय के मध्य समझौता, शोध को मिलेगा बढ़ावा

 

 लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। किशोरों में कूल्हे के विकार पर बैठक की गयी। साथ ही शोध क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए संस्थान और गलगोटिया विश्वविद्यालय के मध्य समझौता किया गया। शुक्रवार को

ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में “स्लिप्ड अपर फेमोरल एपिफिसिस (एसयूएफई) में कूल्हे के संरक्षण” पर एक नैदानिक ​​बैठक की।

जिसमें डॉ. प्रतीक रस्तोगी एसोसिएट प्रोफेसर, अस्थि रोग विभाग द्वारा किशोर कूल्हे विकार के प्रबंधन में आने वाली चुनौतियों और निर्णय लेने की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए केस-आधारित चर्चा की। उन्होंने बताया कि

स्लिप्ड अपर फेमोरल एपिफिसिस बढ़ते बच्चों और किशोरों में देखी जाने वाली एक स्थिति है। जिसमें जांघ की हड्डी के शीर्ष पर स्थित बॉल (फीमोरल हेड) अपनी सामान्य स्थिति से खिसक जाती है। यदि समय पर इसका निदान और उपचार नहीं किया जाता है, तो इससे कूल्हे के जोड़ में विकृति, अकड़न और प्रारंभिक गठिया हो सकता है।

इस चर्चा में मूल कूल्हे के जोड़ को सुरक्षित रखने के लिए शीघ्र पहचान, उचित इमेजिंग और समय पर सर्जिकल हस्तक्षेप के महत्व पर जोर दिया गया। विस्तृत केस प्रस्तुतियों के माध्यम से, सत्र में विभिन्न प्रबंधन रणनीतियों पर चर्चा की गई।

जिनमें इन-सीटू फिक्सेशन, रीअलाइनमेंट ऑस्टियोटॉमी और आधुनिक हिप प्रिजर्वेशन तकनीकें शामिल थीं। इमेजिंग और न्यूनतम इनवेसिव विधियों में हालिया प्रगति पर भी प्रकाश डाला गया। जिसमें दिखाया गया कि कैसे सटीक सर्जिकल योजना परिणामों में उल्लेखनीय सुधार ला सकती है।

इस बैठक में निदेशक डॉ. (ब्रिगेडियर) राकेश गुप्ता, डॉ. विकास सक्सेना, विभागाध्यक्ष, ऑर्थोपेडिक्स, विभिन्न विभागों के अन्य संकाय सदस्य, स्नातकोत्तर छात्र और रेजिडेंट डॉक्टरों ने एक आकर्षक शैक्षणिक बातचीत के लिए भाग लिया।

यह बाल चिकित्सा और किशोर हिप विकारों में विचारों के आदान-प्रदान और साक्ष्य-आधारित सिद्धांतों को सुदृढ़ करने के लिए कार्य किया गया।

 

GIMS एवं गलगोटिया विश्वविद्यालय के मध्य समझौता, शोध को मिलेगा बढ़ावा

ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (GIMS) और गलगोटिया विश्वविद्यालय ने जैव चिकित्सा, नैदानिक ​​और संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान में संयुक्त अनुसंधान, शैक्षणिक सहयोग और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।

 

इस समझौता ज्ञापन पर GIMS के निदेशक डॉ. (ब्रिगेडियर) राकेश कुमार गुप्ता और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. (डॉ.) सौरभ श्रीवास्तव; और गलगोटिया विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. नितिन कुमार गौड़ और जैव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संकाय के डीन प्रो. (डॉ.) अभिमन्यु कुमार झा ने हस्ताक्षर किए।

इस अवसर पर दोनों संस्थानों के संकाय सदस्य और वैज्ञानिक उपस्थित थे। इस सहयोग का उद्देश्य शैक्षणिक आदान-प्रदान को मजबूत करना, नैतिक अनुसंधान को सुगम बनाना और क्षेत्र में जैव चिकित्सा नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त रूप से सम्मेलनों, कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना है।

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