
लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित ग्रीष्म कालीन कार्यशालाओं की प्रस्तुतियां का समापन किया। मंगलवार को पांच वर्ष से 75 वर्ष के कलाकारों की प्रस्तुतियां गोमती नगर स्थित अकादमी परिसर के संत गाडगे जी प्रेक्षागृह में हुई। वहीं
मुख्य अतिथि संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ने उपस्थित महानुभावों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा और मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में प्रदेश में कला, नृत्य, गायन संगीत विरासत को संरक्षित एवं संवर्धित करने की नीति को विभाग द्वारा अनवरत प्रदेश के 75 जनपदों में शैक्षिक एवं गैर सरकारी संस्थाओं को जोड़ते हुए ‘विरासत भी विकास भी’ की नीति को बढ़ाया जा रहा है।
जयवीर सिंह ने बताया कि अकादमी की प्रदेश स्तरीय कार्यशालाओं में 19 हजार प्रतिभागियो ने भाग लिया। यह गौरवमयी उपलब्धी है। ऐसे में संगीत व्यक्ति के स्वयं से समाज उत्थान का माध्यम बनेगा। संस्कृति विभाग द्वारा पंजीकृत कलाकारों को तीन से अधिक कार्यक्रम देने के लिए शासन से अनुमति लेनी होगी।
इसके साथ ही पंजीकृत कलाकारों की प्रस्तुतियों को विभाग की वेबसाइट पर अपलोड भी किया जाएगा। इससे कलाकारों के बीच पारदर्शिता आएगी। उन्होंने बताया कि आधुनिक तकनीक की मदद से उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग में नृत्य, गायन और वादन के कलाकारों का श्रेणीबद्ध रूप से पंजीकरण किया जा रहा है। इसके साथ ही लुप्त प्राय कलाओं को भी संरक्षण दिया जा रहा है।
मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की ओर से इस वर्ष सभी 75 जिलों में संगीत कार्यशालाओं का आयोजन वृहद स्तर पर किया गया। इनमें गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से गागर में सागर समेटा गया।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि प्रदेश के जनपदों के सुदूर क्षेत्रों में गाँवों, पंचायतों, स्कूलों, संस्थाओं, बन्दीगृह, विकलांग सेवा समिति एवं नक्षत्र फाउण्डेशन के सहयोग से लुप्तप्राय विधाओं की कार्यशालायें जैसे गायन में धु्रपद-धमार, सारंगी, शहनाई, पखावज, गिटार, आल्हा-बिरहा, टप्पा के साथ-साथ अन्य विधाओं की कार्यशालाओं का सफल आयोजन किया गया।
इस क्रम में 14 जुलाई को जनपद सम्भल में इनका समापन किया जायेगा। संस्थान द्वारा नाटक विधा में कोल जनजाति की बालिकाओं के लिए प्रस्तुतिपरक नाट्य कार्यशाला का आयोजन जनपद चित्रकूट में किया गया, जिसमें 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया वहीं मुखौटा निर्माण एवं कठपुतली निर्माण कार्यशाला का आयोजन जनपद वाराणसी में किया गया।
लखनऊ की प्रस्तुतियों में ही तीन सौ से अधिक प्रतिभागियों ने विभिन्न कलाओं का प्रशिक्षण ही नहीं हासिल किया बल्कि उनकी अत्यंत प्रभावी प्रस्तुतियां भी दीं। इसमें उम्र की बाधा तोड़ते हुए 05 वर्ष से लेकर 74 वर्ष के प्रतिभागियों ने बहुत बढ़-चढ़ कर उल्लास के साथ अपनी सहभागिता करते हुए अपनी अभिनव कला का प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर उन्होंने 74 वर्षीय संगीतज्ञ केवल कुमार के समर्पित कलायात्रा की भूरि-भूरि प्रशंसा भी की। जयवीर सिंह ने बताया कि अकादमी के अध्यक्ष प्रो. जयंत खोत ने बताया कि उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की ओर 27 मई से 26 जून तक आयोजित ग्रीष्मकालीन प्रस्तुतिपरक कार्यशालाओं की कड़ी में अकादमी परिसर में पहली बार, वृहद स्तर पर विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन किया गया।
अकादमी अध्यक्ष प्रो. जयंत खोत, उपाध्यक्ष विभा सिंह और निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर के मार्गदर्शन में शास्त्रीय गायन जिसमें ख़्याल तराना, उपशास्त्रीय गायन में ठुमरी, दादरा, टप्पा, भजन के साथ-साथ तबला वादन, कथक नृत्य और अवधी लोकगीत गायन का प्रशिक्षण दिया गया।
इस समारोह में विशिष्ट अतिथियों के रूप में मुख्य रूप से संस्कृति, पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम, उप्र संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष प्रो. जयन्त खोत, पद्मश्री मालिनी अवस्थी, पर्यटन विभाग के सलाहकार जेपी सिंह, उप्र संगीत नाटक अकादमी की उपाध्यक्ष विभा सिंह, उप्र संगीत नाटक अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर एवं अन्य विभागी अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।



