प्रदेश भर में एफएसडीए की नशीली दवाओं के खिलाफ 130 प्रतिष्ठानों पर छापेमारी
20 फर्मो पर एफआईआर दर्ज, 6 गिरफ्तार

वाराणसी। लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। प्रदेश स्तर पर नशीली दवाओं के खिलाफ खाद्य एवं औषधि प्रशासन सचिव एवं आयुक्त डॉ. रोशन जैकब के निर्देशानुसार 130 फर्मो पर छापेमारी की कार्रवाई की गयी । जिसमें 20 फर्मो पर एफआईआर दर्ज कर 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया। साथ ही
₹ 73 लाख 30 हज़ार मूल्य की अवैध रूप से भंडारित कोडिन युक्त श्रेणी की औषधियों को सीज किया गया। इसके अलावा नशीली संदिग्ध औषधियों के कुल 120 नमूने जाँच के लिए लिए गये। साथ ही
संदिग्ध अभिलेखों की विवेचना तक 46 औषधि प्रतिष्ठानों पर कोडिन युक्त सिरप और नारकोटिक्स श्रेणी की दवाओं की बिक्री पर रोक लगाई गई है। वहीं शनिवार को
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन उत्तर प्रदेश कोडीन युक्त कफ सिरप व नॉरकोटिक्स श्रेणी की औषधियों के अवैध कारोबार पर औषधि विभाग, उत्तर प्रदेश का बड़ा खुलासा किया।
एफएसडीए द्वारा कोडीन फॉस्फेट युक्त कफ सिरप जैसे मादक द्रव्यों के अवैध भंडारण, क्रय-विक्रय एवं संभावित अवैध डायवर्जन की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे सघन अभियान के तहत अवैध व्यापार में शामिल एक अंतर्राज्यीय सिंडिकेट का खुलासा किया गया है।
नशीली दवाओं के फैले जाल में शामिल..
संगठित अपराध में संलिप्त ऐबट हेल्थकेयर के सुपर स्टॉकिस्ट मेसर्स-शैली ट्रेडर्स, राँची (झारखंड) व संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग द्वारा थाना कोतवाली, वाराणसी, में एफआईआर दर्ज करने के लिए औपचारिक शिकायत दर्ज कराई गयी। जिसमें कोडीन युक्त अवैध सिरप आपूर्ति का केंद्र
बिक्री विभागीय जाँच में ज्ञात हुआ कि मेसर्स-शैली ट्रेडर्स द्वारा वर्ष 2023-25 में ऐबट हेल्थकेयर से लगभग 89 लाख फेन्सीडील कफ सिरप खरीदा गया था।
जाँच में निकला वाराणसी कनेक्शन..
सैली ट्रेडर्स के तकनीकी व्यक्ति द्वारा जनपद वाराणसी में 93 अलग-अलग मेडिकल स्टोर को लगभग 84 लाख फेन्सीडील सिरप का विक्रय किया गया। जिसकी अनुमानित कीमत ₹ 100 करोड़ है।
शुभम जायसवाल (पुत्र भोला प्रसाद) एक ही अवधि में मेसर्स-शैली ट्रेडर्स, राँची एवं मेसर्स-न्यू वृद्धि फार्मा, वाराणसी में कॉम्पिटेंट पर्सन के रूप में कार्य करते पाया गया, जो लाइसेंसिंग नियमों का गंभीर उल्लंघन है।
स्थानीय मिलीभगत: सैली ट्रेडर्स के प्रोप्राइटर (भोला प्रसाद) और कॉम्पिटेंट पर्सन (शुभम जायसवाल) दोनों पिता-पुत्र हैं, जिनका पता भी वाराणसी में स्थित है, जो अवैध आपूर्ति में स्थानीय मिलीभगत की ओर स्पष्ट इशारा करता है।
इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने स्वयं वाराणसी में इस कार्रवाई का नेतृत्व किया था। जिसमें मुख्यालय से गठित टीम में सहायक आयुक्त (औषधि) अखिलेश कुमार जैन, औषधि निरीक्षक सीमा सिंह व वैभव बब्बर, एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपदों के अन्य 10 औषधि निरक्षकों की विशेष टीम ने बीते 12 से 14 नवंबर तक मंडल की फर्मों का गहन निरीक्षण किया।
वहीं जाँच में कुल 09 फर्में (मेसर्स-सृष्टि फार्मा, जीटी इंटरप्राइजेज, शिवम फार्मा, हर्ष फार्मा, डीएसए फार्मा, महाकाल मेडिकल स्टोर, निशांत फार्मा, वीपीएम मेडिकल एजेंसी, श्री बालाजी मेडिकल) मौके पर बंद पाई गईं। इससे स्पष्ट है कि आपूर्ति अवैध बिलों के माध्यम से ऐसी फर्मों को की गई जो भौतिक रूप से अस्तित्व में नहीं हैं, अथवा विधि विरुद्ध कार्य कर रही थीं।
इलीगल डायवर्जन का खुला राज..
फर्जीवाड़े द्वारा लाइसेंस में यह पाया गया कि डीएसए फार्मा एवं महाकाल मेडिकल स्टोर एक ही स्थान पर स्थित थे और मौके पर बंद पाए गए। महाकाल मेडिकल स्टोर के प्रोप्राइटर को डीएसए फार्मा के प्रोप्राइटर द्वारा अनुभव प्रमाण पत्र निर्गत किया गया था। जिससे दोनों की मिलीभगत और केवल कोडिन युक्त औषधियों के अवैध क्रय-विक्रय व संभावित इलीगल डायवर्जन की पुष्टि होती है।
मेसर्स-जीडी इंटरप्राइजेज ने शैली ट्रेडर्स से 2 लाख 14 हजार फेन्सीडील कफ सिरप क्रय किए, जिसके विक्रय अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए।
मेसर्स-न्यू पीएल फार्मा ने 2 लाख 16 हजार फेन्सीडील कफ सिरप क्रय किए और इसका पूरा स्टॉक एक बंद फर्म श्री बालाजी मेडिकल को विक्रय करना दर्शाया। श्री बालाजी मेडिकल के स्वामी ने बताया कि वह ज्वेलरी की दुकान में काम करते हैं और मेडिकल का कार्य नहीं करते।
निष्कर्ष, यह सिद्ध होता है कि प्रकरण में निम्न अंकित फर्मों द्वारा कूटरचित बिलों का उपयोग कर अधिक मुनाफा कमाने और सदोष लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से फेन्सीडील कफ सिरप के स्टॉक को नशे के दुरुपयोग के लिए अवैध रूप से अन्य स्थानों,राज्यों में डायवर्ट किया जाता रहा है।
वैधानिक कार्रवाई में
फर्म मेसर्स-शैली ट्रेडर्स तथा जिम्मेदार व्यक्तियों प्रोप्राइटर (भोला प्रसाद) एवं कॉम्पिटेंट पर्सन (शुभम जायसवाल) व अन्य 26 के विरुद्ध स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (एनडीपीएस एक्ट, 1985) की धारा 26(डी) के अंतर्गत तत्काल एफआईआर दर्ज करने के लिए शिकायत दर्ज कराई गयी।
वहीं एफएसडीएनए नशीली दावों के खिलाफ स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रदेश भर में कोडिन युक्त,नारकोटिक्स, साइकोट्रॉपिक श्रेणी की औषधियों की अवैध आवाजाही की जाँच के लिए संदिग्ध मेडिकल स्टोरों की सघन जाँच अभियान जारी रहेगा।



