एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस पर कार्यशाला
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंट के बारे में किया जागरूक

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस पर जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गयी।
शनिवार को एसजीपीजीआईएमएस के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा एंटीबायोटिक जागरूकता, नवीन एंटीमाइक्रोबियल्स और एंटीमाइक्रोबियल स्टुअर्डशिप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका विषय पर एक सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यशाला आयोजित की।
यह आयोजन विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह (18–24 नवंबर 2025) के अंतर्गत किया गया। इस वर्ष का वैश्विक विषय
“अभी कार्रवाई करें: वर्तमान को सुरक्षित रखें, भविष्य को संरक्षित करें पर आधारित रहा। संस्थान के एचजी खुराना सभागार में सुबह 9:30 बजे से 12:30 बजे तक संपन्न हुआ।
जिसका का उद्देश्य एंटीबायोटिक के विवेकी उपयोग को बढ़ावा देना तथा स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में बढ़ते एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस की चुनौती पर स्वास्थ्यकर्मियों को जागरूक करना था। इस कार्यक्रम में माइक्रोबायोलॉजिस्ट, क्लीनिशियन्स, इंटेंसिविस्ट, मेडिकल एवं पैरामेडिकल विद्यार्थी, फार्मासिस्ट और अस्पताल प्रशासक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का उद्घाटन डीन प्रो. शलीन कुमार द्वारा किया गया। जबकि दिल्ली स्थित मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के प्रो. विकास मंचन्दा ने अतिथि-विशेष के रूप में उपस्थिति दर्ज कराई। अवसर पर माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. रांगमेई एसके मारक तथा क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रो. अफज़ल अज़ीम उपस्थित रहे।
प्रो. रांगमेई एसके मारक ने स्वागत भाषण दिया और इस सीएमई के महत्व पर प्रकाश डालते हुए संस्थान द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। प्रो. शलीन कुमार ने एंटीबायोटिक जागरूकता के महत्व पर जोर देते हुए अनावश्यक प्रिस्क्रिप्शन, ओवर-द-काउंटर एंटीबायोटिक उपयोग तथा गलत समय पर एंटीबायोटिक लेने से बचने की आवश्यकता बताई।
एएमआर एवं स्टुअर्डशिप के प्रख्यात विशेषज्ञ प्रो. विकास मंचन्दा ने एंटीमाइक्रोबियल स्टुअर्डशिप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल हेल्थ विषय पर व्याख्यान दिया। जिसमें उन्होंने वैश्विक एवं राष्ट्रीय स्तर पर अपनाई जा रही रणनीतियों पर प्रकाश डाला।
साथ ही एसजीपीजीआईएमएस के प्रतिष्ठित संकाय सदस्यों प्रो. अफज़ल अज़ीम (क्रिटिकल केयर मेडिसिन), डॉ. अक्षय आर्य (माइक्रोबायोलॉजी) और डॉ. अंकैश गुप्ता (इंफेक्शियस डिजीज) ने क्रमशः स्वास्थ्य सेवा-संबंधी संक्रमणों में ग्राम-नेगेटिव रोगजनकों, नेक्स्ट जेनरेशन β-लैक्टम/β-लैक्टमेज़ इन्हिबिटर दवाओं, तथा एमबीएल उत्पादक जीवों से निपटने की रणनीतियों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
संस्थान ने राष्ट्रीय कार्ययोजना (NAP-AMR 2.0) को सुदृढ़ करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और बताया कि यह लक्ष्य शैक्षणिक पहल, नैदानिक सहयोग एवं क्षमता निर्माण के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा।



