प्रतिकूल दवाओं की सर्वाधिक सूचना देने में केजीएमयू को मिला सम्मान
संस्थान कुलपति ने समस्त टीम को दी बधाई

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। प्रतिकूल दवाओं की सर्वाधिक प्रतिक्रिया देने के लिए सम्मानित किया गया। मंगलवार को
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए सम्मानित हुआ है। राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस सप्ताह -2025 के अवसर पर विभाग को इस वर्ष प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं (एडवर्स ड्रग रेएक्शंस) की सर्वाधिक संख्या की सूचना देने के लिए पुरस्कृत किया गया।
इस उपलब्धि के लिए फार्माकोलॉजी विभाग में आयोजित समारोह में रेखांकित किया गया। वहीं रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो सूर्यकान्त को सम्मानित किया गया।
उन्होंने कहा कि संस्थान के लिए यह अत्यंत गर्व का विषय है कि रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने फार्माकोविजिलेंस, मरीज सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण उपचार, अनुसंधान और सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बनाई है। यह उपलब्धि विभाग की टीम भावना, कठोर परिश्रम और चिकित्सा विज्ञान के प्रति समर्पण का प्रमाण है।
यह पुरस्कार फार्माकोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. राकेश कुमार दीक्षित ने डा. सूर्यकान्त तथा रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के दो अन्य डाक्टर्स डा. ज्योति बाजपेई एवं डा. अंकित कुमार को प्रदान किया।
वहीं कुलपति प्रो.सोनिया नित्यानंद ने रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग को इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि यह सफलता विश्वविद्यालय की शिक्षा, शोध और रोगी सेवा की उत्कृष्ट परंपरा को दर्शाती है।
ज्ञात हो कि केजीएमयू का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग उप्र का सबसे पुराना एवं सबसे बड़ा सांस का विभाग है। इसकी स्थापना वर्ष 1946 में हुई थी और तब से अब तक यह अनेक उल्लेखनीय उपलब्धियाँ अर्जित कर चुका है।
पिछले एक दशक में विभागाध्यक्ष डा. सूर्यकान्त के नेतृत्व में विभाग ने रोगों की पहचान, उपचार, अनुसंधान और रोगी-कल्याण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किए हैं। जिसके लिए इसे कई बार पुरस्कृत किया जा चुका है। हाल ही में विश्वविद्यालय को मिली बड़ी उपलब्धि नाक A++ ग्रेड में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग का योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा है।
इससे पूर्व में आयुष्मान योजना में उत्कृष्ट योगदान के लिए विभाग पहले भी सम्मानित हो चुका है। विभाग की एक और प्रमुख उपलब्धि प्रदेश का पहला पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेंटर है। जहाँ श्वसन रोगियों को विशेष फिजियोथेरेपी और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता है।
इसके अतिरिक्त टीबी के क्षेत्र में विभाग को अर्न्तराष्ट्रीय पहचान प्राप्त है। विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं भारत सरकार द्वारा विभाग को टीबी के क्षेत्र में सेन्टर आफ एक्सीलेंस चुना गया है। डॉ. सूर्यकान्त को विश्व के सर्वोच्च 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की श्रेणी में भी स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया, अमेरिका द्वारा स्थान प्राप्त है।
रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग केवल उपचार तक सीमित नहीं है। अनुसंधान प्रकाशनों, नवीन उपचार पद्धतियों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी परियोजनाओं, प्रशिक्षण, जन-जागरूकता और सामाजिक कल्याण में भी निरंतर सक्रिय है। वर्तमान में विभाग द्वारा 9 विशेषता क्लीनिक संचालित किए जा रहे हैं।
एलर्जी क्लीनिक, डॉट्स टीबी क्लीनिक, डॉट्स प्लस टीबी क्लीनिक, तंबाकू निषेध क्लीनिक, आईएलडी क्लीनिक, पल्मोनरी हाइपरटेंशन क्लीनिक, ब्रॉन्किएक्टेसिस क्लीनिक, पोस्ट कोविड क्लीनिक और लंग कैंसर क्लीनिक।
नवीन सुविधाओं के अंतर्गत साधारण एवं एण्डवास पल्मोनरी फंगसन टेस्ट (पीएफटी) जैसे कि इम्पल्स ऑसिलोमेट्री, डीएलसीओ, बाडी बाक्स के साथ- साथ ब्रांकोस्कोपी, थोरेकोस्कोपी, इबस, एलर्जी लैब की भी सुविधाऐं विकसित की गयी है।
मधुसूदन चिकित्सा ज्ञान वाटिका का पुनर्निर्माण, नवग्रह वाटिका की स्थापना और फैकल्टी ब्लॉक का लोकार्पण किया गया है। विभाग में दो नए फैकल्टी सदस्य जुड़े हैं और आठ नई एमडी सीटों की स्वीकृति से शैक्षणिक तथा अनुसंधान क्षमता और मजबूत हुई है। इसके अतिरिक्त विभाग ने आरोग्य वाटिका और रोटरी हर्बल पार्क की स्थापना भी की है।
सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में भी विभाग निरंतर सक्रिय है। डा. सूर्यकान्त द्वारा टीबी मुक्त भारत अभियान में सक्रीय भूमिका निभाते हुए एक गांव, एक स्लम एरिया एवं 100 से ज्यादा टीबी पीड़ित बच्चों को गोद लेकर रोगी-सेवा की नई मिसाल पेश की।
कोविड-19 महामारी के दौरान विभाग ने मरीजों को दवाओं का वितरण, स्वास्थ्यकर्मियों के बच्चों को स्वेटर तथा रोगियों और परिजनों को कंबल, फल एवं नाश्ता प्रदान कर मानवीय पहल को मजबूत किया।
विभाग रेडियो गूंज कार्यक्रम के माध्यम से स्वास्थ्य जागरूकता फैलाने और विश्वविद्यालय की खेल एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय भागीदारी करता है।



