यह मंच विकसित भारत 2047 के लक्ष्य में योगदान देकर करेगा साकार -ब्रजेश पाठक
एनबीआरआई में सीएसआईआर-स्टार्टअप कॉन्क्लेव 2025 हुआ आरम्भ

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी में चार प्रमुख प्रयोगशालाओ की अगुवाई में स्टार्टअप कांन्क्लेव का आरम्भ किया गया।
रविवार को प्रधानमंत्री के आह्वान “स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया” और आत्मनिर्भर भारत से विकसित भारत 2047 की दृष्टि को साकार करने की दिशा में, चौथा सीएसआईआर-स्टार्टअप कॉन्क्लेव एनबीआरआई के केएन कौल ब्लॉक में शुभारम्भ किया गया।
इस दो दिवसीय कॉन्क्लेव में सीएसआईआर की चार प्रमुख प्रयोगशालाओं में एनबीआरआई,सीडीआरआई, आईआईटीआर एवं सीमैप द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि और केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में आयोजित यह कॉन्क्लेव, नवाचार, उद्यमिता और लैब से बाज़ार तक तकनीक हस्तांतरण को बढ़ावा देने का एक प्रमुख मंच बन चुका है।
इस कॉन्क्लेव में देशभर से सीएसआईआर समर्थित 50 से अधिक स्टार्टअप्स अपने अभिनव उत्पादों और तकनीकों का प्रदर्शन कर रहे हैं। एक विशिष्ट पहल यह है कि 200 से अधिक किसान सीधे वैज्ञानिकों और उद्यमियों के साथ संवाद कर रहे हैं, ताकि वे उत्पादकता, आय और ग्रामीण विकास में सुधार लाने वाले तकनीकी समाधान जान सकें।
कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने किया। उन्होंने स्टार्टअप प्रदर्शनी पवेलियन का उद्घाटन किया और सीएसआईआर स्टार्टअप संस्थापकों से भेंट कर उनके नवाचारों की सराहना की।
श्री पाठक ने विश्वास जताया कि ऐसे मंच न केवल उत्तर प्रदेश के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करेंगे, बल्कि किसानों, युवाओं और उद्यमियों को विकसित भारत 2047 के लक्ष्य में योगदान के लिए सशक्त बनाएंगे।
उद्घाटन दिवस की शुरुआत पंजीकरण से शुरू होकर लोटस ऑडिटोरियम में किसानों के लिए दो कार्यशालाएँ आयोजित की गईं। पहली कार्यशाला, सीएसआईआर-फ्लोरीकल्चर मिशन पर आधारित थी। जिसे एनबीआरआई की टीम ने संचालित किया। इसमें उन्नत पुष्पकृषि तकनीकों, गुणवत्तापूर्ण पौध सामग्री और फसलोपरांत प्रौद्योगिकी पर मार्गदर्शन किया गया।
साथ ही किसानों को बताया गया कि पुष्पकृषि को बाज़ार से जुड़े एक लाभकारी उद्यम के रूप में कैसे विकसित किया जा सकता है। दूसरी कार्यशाला, सीएसआईआर-अरोमा मिशन पर केंद्रित थी जिसे सीएसआईआर-सीमैप और सीएसआईआर-एनबीआरआई के विशेषज्ञों ने संयुक्त रूप से संचालित किया।
इसमें पुदीना, लेमनग्रास, पामारोसा और वेटीवर जैसी सुगंधित फ़सलों पर चर्चा हुई। वैज्ञानिकों ने उच्च गुणवत्ता वाले आवश्यक तेल निष्कर्षण, खेती की तकनीक और उद्यमिता के अवसरों पर जानकारी दी। किसानों की उत्साही भागीदारी ने इसे वैज्ञानिक–किसान संवाद का एक उत्कृष्ट मंच बना दिया।
लखनऊ में चौथा सीएसआईआर स्टार्टअप कांक्लेव..
एनबीआरआई और सीमैप ने किसानों के कल्याण के लिए फ्लोरीकल्चर और अरोमा मिशन पर विशेष सत्र भी आयोजित किया। उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि निदेशक डॉ. पंकज त्रिपाठी ने कहा कि 86 फीसदी सिंचित क्षेत्र के साथ राज्य में पुष्पकृषि और सुगंधित फ़सलों में अपार संभावनाएँ हैं।
उन्होंने अयोध्या, वाराणसी और मथुरा में सीएसआईआर द्वारा स्थापित उत्कृष्टता केंद्रों की सराहना की, जो क्षेत्रीय विकास को गति देंगे। उन्होंने किसानों को विविधिकरण, अंतरफसल खेती और मूल्य संवर्धन के अवसर अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया और नीदरलैंड जैसे वैश्विक मॉडल तथा ऑर्गेनिक इंडिया जैसे सफल भारतीय उदाहरणों का उल्लेख किया।
उत्तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव (उद्यान एवं रेशम विभाग तथा खाद्य प्रसंस्करण विभाग), बाबूलाल मीणा ने मूल्य संवर्धित उत्पादों जैसे शहद के निर्यात की संभावना पर बल दिया और किसानों को मिडह जैसी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता बनाने पर ज़ोर दिया और एपेडा, जीआई टैग्स और कोल्ड चेन अवसंरचना जैसी प्रमाणन प्रणालियों की अहमियत पर चर्चा की। उन्होंने प्रतिभागियों के साथ उद्यमियों और अधिकारियों के प्रत्यक्ष संपर्क भी साझा किए जिससे मजबूत बाज़ार संपर्क स्थापित हो सके।
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने सीएसआईआर समर्थित स्टार्टअप्स को उनके प्रभावी नवाचारों के लिए सम्मानित किया। इनमें डॉ. देवेंद्र कुमार पटेल की प्रयोगशाला को पीएफएएस हटाने के लिए नैनोकॉम्पोज़िट-आधारित जल शोधक विकसित करने के लिए सराहा गया। डॉ. प्रभांशु त्रिपाठी की प्रयोगशाला को कृत्रिम खाद्य रंगों से आंत माइक्रोबायोटा पर प्रभाव और आंत के बैक्टीरिया व मेटाबोलाइट्स की पहचान के लिए एप्टामर-आधारित बायोसेंसर विकसित करने के लिए सम्मानित किया गया।
टेरा सेंसस स्टार्टअप ने सटीक कृषि के लिए सेंसर एरे सिस्टम प्रदर्शित किया, जो खेतों के ग्रिड-आधारित वास्तविक समय डाटा प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सब-ट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर और छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय ने रेडी टू फ्रूट मशरूम किट्स का प्रदर्शन किया, जिससे शुरुआती किसान आसानी से इस उद्यम को अपनाकर लाभ कमा सकते हैं।
ये सभी तकनीकें सीएसआईआर प्रदर्शनी पवेलियन में प्रमुख आकर्षण रहीं।
कॉन्क्लेव के उद्घाटन समारोह का दूसरा चरण दोपहर में आरंभ हुआ। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री सहित अन्य गणमान्य अतिथियों ने प्रदर्शनी पवेलियन का भ्रमण किया। इस दौरान एनबीआरआई, सीडीआरआई,आईआईटीआर और सीमैप के निदेशक उपस्थित रहे। वहीं
एनबीआरआई के निदेशक डॉ. एके शासनी ने स्वागत भाषण दिया और पौध विज्ञान, संरक्षण, अनुवादनीय अनुसंधान एवं किसान और उद्योग तक पहुँच में संस्थान के योगदान पर प्रकाश डाला। इसके बाद सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. पीके त्रिवेदी ने लखनऊ स्थित प्रयोगशालाओं के योगदान का उल्लेख किया और औषधीय एवं सुगंधित पौधों, औषधि खोज तथा विषविज्ञान में उनके कार्यों को रेखांकित किया।
तत्पश्चात सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने कॉन्क्लेव के उद्देश्यों को स्पष्ट किया और बताया कि यह वैज्ञानिकों, स्टार्टअप्स, निवेशकों और नीति-निर्माताओं को लैब से मार्केट तक की यात्रा को गति देने के लिए जोड़ता है।
सीएसआईआर महानिदेशक एवं डीएसआईआर सचिव डॉ. एन. कलैसेल्वी ने सीएसआईआर के विस्तृत पारिस्थितिकी तंत्र का उल्लेख किया। जिसमें अकादमिक जगत, उद्योग और स्टार्टअप्स शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी कृषि को पुनर्जीवित करने, नवाचार को बढ़ावा देने और समुदायों को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा रही है।
उन्होंने एनबीआरआई के जैव उर्वरक, सीमैप के अरोमा मिशन, आईआईटीआर के पर्यावरणीय डाटा समाधान और सीडीआरआई की व्यक्तिगत औषधि में प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि लखनऊ राष्ट्रीय नवाचार केंद्र के रूप में उभर रहा है और केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के विज़न को मज़बूती मिल रही है।
अपने विशेष संबोधन में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की दृष्टि के अंतर्गत भारत की प्रगति हर घर तक पहुँच रही है और सीएसआईआर केवल प्रयोगशालाओं में नवाचार नहीं कर रहा बल्कि लोगों के जीवन में वास्तविक बदलाव ला रहा है। उन्होंने कहा कि किसान राष्ट्र की प्रगति में प्रमुख भूमिका निभाते हैं और स्टार्टअप्स विकसित भारत के निर्माण में अनिवार्य हैं।
उन्होंने वोकल फॉर लोकल पर ज़ोर दिया और कृषि को विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जोड़ने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि सरकार स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने और वन डिवीजन, वन प्रोडक्ट क्लस्टर दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर चार महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गये।
सीएसआईआर-आईआईटीआर, लखनऊ और पंजाब बायोटेक्नोलॉजी इनक्यूबेटर (पीबीटीआई), मोहाली पर्यावरण विज्ञान, विषविज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी में संयुक्त अनुसंधान एवं कौशल विकास।
सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ और केनिसएआई टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, वाराणसी एआई-आधारित औषधि खोज और विकास के लिए पाँच वर्षीय साझेदारी।
सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ और वीजन लैब्स एलएलपी, हैदराबाद सटीक कैंसर अनुसंधान एवं किफ़ायती औषधि विकास हेतु तीन वर्षीय सहयोग।
सीएसआईआर-आईआईटीआर, लखनऊ और स्मार्टक्यूआर टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, पुणे बौद्धिक संपदा और पेटेंट हस्तांतरण, जिससे सीएसआईआर तकनीकों का व्यावसायीकरण और सामाजिक उपयोग संभव होगा।
इन समझौतों ने वैज्ञानिक नवाचार, अनुवादनीय अनुसंधान और मानव संसाधन विकास को राष्ट्रीय प्रासंगिकता वाले क्षेत्रों में नई दिशा दी है।
समारोह का मुख्य आकर्षण सीएसआईआर महानिदेशक एवं डीएसआईआर सचिव डॉ. एन. कलैसेल्वी का मुख्य वक्तव्य रहा। उन्होंने सीएसआईआर के मिशन पर प्रकाश डाला कि कैसे वैज्ञानिक नवाचारों को उद्यमशीलता में परिवर्तित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सीएसआईआर की मज़बूती केवल अग्रणी अनुसंधान में नहीं बल्कि उसके परिणामों को व्यावहारिक और बाज़ार योग्य तकनीकों में बदलने की क्षमता में है।
उद्घाटन सत्र का समापन अतिथियों के सम्मान और सीएसआईआर-आईआईटीआर, लखनऊ के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण द्वारा आभार प्रदर्शन के साथ हुआ।
कॉन्क्लेव के दूसरे दिन मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ तथा केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह उपस्थित रहेंगे। वे स्टार्टअप्स और किसानों से संवाद करेंगे। इस दिन का विशेष आकर्षण सीएसआईआर-एनबीआरआई के बॉटैनिक गार्डन में स्वस्तिक लोटस तालाब का उद्घाटन होगा, जिसे डॉ. जितेंद्र सिंह करेंगे।



