आपातकालीन रेडियोलॉजी सोसाइटी का वार्षिक सम्मेलन हुआ सम्पन्न
देश विदेश के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने किया प्रतिभाग

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। एसजीपीजीआई में आपातकालीन रेडियोलोजी का वार्षिक सम्मेलन संपन्न हुआ। सोमवार को
आपातकालीन रेडियोलॉजी सोसाइटी (SERCON 2025) का 12वां वार्षिक सम्मेलन तीन दिवसीय अकादमिक उत्कृष्टता, व्यावहारिक प्रशिक्षण विशेषज्ञ चर्चाओं के बाद समापन किया गया।
संस्थान के रेडियोडायग्नोसिस विभाग द्वारा 22-24 अगस्त तक आयोजित सम्मेलन में “From tear to twist: Mastering GI और MSK emergency” विषय पर देश-विदेश से 500 से अधिक प्रतिनिधि शामिल रहे।
इस वर्ष के वैज्ञानिक कार्यक्रम में रोगी-केंद्रित देखभाल पर ज़ोर दिया गया कि कैसे शीघ्र और सटीक रेडियोलॉजिकल हस्तक्षेप आघात और स्ट्रोक से लेकर पेट, छाती और मस्कुलोस्केलेटल स्थितियों तक की आपात स्थितियों में जान बचा सकते हैं। वहीं
डॉ. क्रिस्टल आर्चर, डॉ. एरिक रॉबर्ट, डॉ. प्राची अग्रवाल, डॉ. मेलिसा डेविस, डॉ. नीतू सोनी (अमेरिका), डॉ. रथचाई काउलई (थाईलैंड) और डॉ. अदनान शेख (कनाडा) सहित विश्व स्तर पर प्रशंसित विशेषज्ञों ने इमेजिंग और न्यूनतम इनवेसिव हस्तक्षेपों में नवीनतम प्रगति को साझा किया।
कॉन्फ्रेंस के दौरान इस बात पर ज़ोर दिया कि कैसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अत्याधुनिक तकनीक को रोगियों के लिए बेहतर परिणामों में बदलने में तेज़ी लाया जा सकता है। साथ ही मुख्य आकर्षण कौशल विकास कार्यशालाओं में डॉक्टरों ने सिमुलेटर पर जीवन रक्षक आपातकालीन प्रक्रियाओं का अभ्यास किया।
प्रशिक्षण सत्रों में स्ट्रोक, मस्तिष्क रक्तस्राव और रक्त वाहिकाओं में रुकावटों के प्रबंधन के आधुनिक तरीकों के साथ-साथ क्रायोएब्लेशन जैसी गैर-शल्य चिकित्सा ट्यूमर एब्लेशन तकनीकें भी शामिल थीं। आयोजकों ने कहा कि इस तरह का व्यावहारिक प्रशिक्षण सिद्धांत और नैदानिक अभ्यास के बीच की खाई को पाटता है। जिससे यह सुनिश्चित होता है कि रेडियोलॉजिस्ट और चिकित्सक वास्तविक आपात स्थितियों में त्वरित और सटीक निर्णय लेने के लिए पूरी तरह तैयार हों।
उन्नत इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी में अग्रणी, एसजीपीजीआईएमएस ने डॉ. अर्चना गुप्ता और उनकी टीम के नेतृत्व में लिवर और स्तन में न्यूनतम इनवेसिव ट्यूमर उपचार के विस्तार की भी घोषणा की। ये प्रक्रियाएँ, जिनमें बड़ी सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती, रोगी के दर्द, अस्पताल में रहने और ठीक होने के समय को काफी कम करती हैं और अंततः रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती हैं।
न्यूरो-इंटरवेंशन कार्यशाला का संचालन करने वाले डॉ. विवेक सिंह ने संस्थान में अत्याधुनिक स्ट्रोक और न्यूरोवैस्कुलर उपचारों की उपलब्धता पर ज़ोर देते हुए कहा कि जिससे रोगियों को घर के पास ही विश्वस्तरीय देखभाल मिल सके।
डॉ. अनुराधा सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ट्रॉमा-रिपोर्टिंग कार्यशालाओं ने युवा डॉक्टरों के आत्मविश्वास को काफ़ी बढ़ाया है। उन्होंने कहा, “प्रशिक्षण यह सुनिश्चित करता है कि रेडियोलॉजिस्ट न केवल दबाव में आपात स्थितियों से निपटने के लिए तैयार हों, बल्कि सूक्ष्म और अक्सर नज़रअंदाज़ हो जाने वाली स्थितियों का पता लगाने में भी सक्षम हों। जिससे अधिक सटीक निदान, समय पर उपचार और बेहतर रोगी जीवन सुनिश्चित हो सके।
डॉ. अर्चना गुप्ता, डॉ. अनुराधा सिंह द्वारा आयोजित वैज्ञानिक सत्रों में मुख्य व्याख्यान, पैनल चर्चा और फिल्म-रीडिंग सत्र शामिल थे। एम्स नई दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़, डॉ. आरएमएल अस्पताल, केजीएमयू लखनऊ और एमएएमसी दिल्ली जैसे प्रमुख संस्थानों के संकाय सदस्यों ने अपनी विशेषज्ञता का योगदान दिया।
सेरकॉन 2025 की सफलता का श्रेय निदेशक पद्मश्री डॉ. आरके धीमन की दूरदर्शिता और मार्गदर्शन, आयोजन अध्यक्ष डॉ. अर्चना गुप्ता के नेतृत्व और आयोजन सचिव डॉ. अनुराधा सिंह की कुशल संयोजन को जाता है।
आपातकालीन तैयारी, कौशल विकास और अत्याधुनिक उपचारों पर केंद्रित, सेरकॉन 2025 ने अकादमिक सहयोग और रोगी-केंद्रित रेडियोलॉजी में एक नया मानदंड स्थापित किया। डॉक्टरों को नवीनतम ज्ञान और व्यावहारिक विशेषज्ञता से सशक्त बनाकर, इस सम्मेलन ने देश भर में रोगी देखभाल को बेहतर बनाने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के अपने मिशन की पुष्टि की।



