माँ का दूध अमृत से कम नहीं- डॉ. त्रिपाठी
2019 में केजीएमयू में स्थापित हुआ मिल्क बैंक, नवजात शिशुओं के लिए बना वरदान

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। माँ का दूध अमृत समान है। यह नवजात शिशुओं के लिए अमृत तुल्य वरदान से कम नहीं और बीमारियों से लड़ने में कवच की तरह कार्य करता है। सोमवार को यह जानकारी विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत हुई बातचीत पर
केजीएमयू स्थित मिल्क बैंक की नोडल और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर शालिनी त्रिपाठी ने दी। इसी क्रम में मिल्क बैंक की विशेषता का जिक्र करते हुए करीब 15 साल पहले, जब सुमन(बदला हुआ नाम) को चिकित्सकीय कारणों से गर्भावस्था के सातवें महीने में ही प्रसव कराना पड़ा, तो उनकी नवजात बेटी बेहद कमजोर और नाजुक थी।
सुमन याद करती हैं। संस्थान के डॉक्टरों ने केवल स्तनपान की सलाह दी, लेकिन मेरी तबीयत इतनी खराब थी कि मैं खुद स्तनपान नहीं करा पाई।
डॉक्टरों ने सुझाव दिया कि किसी और मां से दूध लेकर कटोरी-चम्मच से पिलाएं। मैंने वही किया। धीरे-धीरे मेरी बच्ची का वजन बढ़ा और संक्रमण से भी बची रही। आज वह पूरी तरह स्वस्थ है और दसवीं कक्षा में पढ़ रही है।
सुमन कहती हैं। आज जब मैं केजीएमयू में स्थापित मिल्क बैंक को देखती हूँ, तो गर्व होता है। साथ ही एक कसक भी होती है। काश, यह सुविधा मेरे समय में होती। वहीं
केजीएमयू स्थित मिल्क बैंक की नोडल और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर शालिनी त्रिपाठी कहती हैं कि इसे “धात्री अमृत कलश” भी कहा जाता है।
क्यों ज़रूरी हैं मिल्क बैंक..
समय से पूर्व जन्मे, गंभीर बीमारियों से पीड़ित या कम वजन वाले नवजातों के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है। जब जैविक मां किसी कारणवश स्तनपान नहीं करा पातीं, तो ऐसे बच्चों के लिए डोनर ह्यूमन मिल्क जीवनरक्षक सिद्ध हो सकता है।
इसी उद्देश्य से सरकार ने 2019 में केजीएमयू में प्रदेश का पहला सेंट्रल लेक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर (सीएलएमसी) स्थापित किया। जिसे आम भाषा में मिल्क बैंक कहा जाता है।
यहाँ माताओं को स्तनपान पर परामर्श देने के साथ-साथ दान किए गए दूध का संग्रह, परीक्षण, सुरक्षित संरक्षण और ज़रूरतमंद नवजातों तक वितरण किया जाता है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य नवजात मृत्यु दर में कमी लाना और संक्रमण से बचाव करना है।
मिल्क बैंक से लाभान्वित..
> 1440 नवजातों को मिला डोनर ह्यूमन मिल्क का लाभ
> 1039 माताओं ने किया दूध दान
> 26,792 माताओं को मिला स्तनपान पर परामर्श
> केजीएमयू में 80 फीसदी नवजातों को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराया जाता है।
> सिजेरियन मामलों में यह आंकड़ा 60 फीसदी है।
ह्यूमन मिल्क के प्रमुख लाभ..
> रक्त संक्रमण में 19 फीसदी और पेट के संक्रमण में 79 फीसदी तक की कमी होती है।
> फॉर्मूला दूध की तुलना में बेहतर फीडिंग टॉलरेन्स।
> कम डायरिया, उल्टी और गैस की शिकायत।
> मानसिक और शारीरिक विकास में स्पष्ट लाभ
> अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि में कमी।
> मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसी जटिलताएं कम।
दूध दान करने के जानें नियम..
> दूध तभी लिया जाता है जब मां अपने बच्चे को स्तनपान करा चुकी हो और लिखित सहमति दे।
> किसी भी प्रकार का आर्थिक प्रोत्साहन नहीं दिया जाता।
> यह दूध सिर्फ अस्पताल के एनआईसीयू व एसएनसीयू में भर्ती नवजातों के लिए उपयोग होता है, किसी व्यावसायिक उपयोग के लिए नहीं।
यह महिलायें नहीं कर सकतीं दूध दान..
> जो तंबाकू, गुटका आदि का सेवन करती हों।
> जिन्हें हाल ही में रक्त चढ़ाया गया हो।
> जो कैंसर-निरोधक दवाएं ले रही हों।
> जिन्हें एचआईवी, टीबी, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां हों।
> जिनके शरीर पर हाल ही में टैटू बना हो।
किन नवजातों को मिलता है डोनर ह्यूमन मिल्क?
> 1500 ग्राम से कम वजन वाले बच्चे।
> अनाथ शिशु।
> वे नवजात जिनकी मां स्तनपान कराने में असमर्थ हैं या गंभीर रूप से बीमार हैं।
राज्य स्तरीय विस्तार..
> रानी अवंतीबाई, झलकारी बाई और लोकबंधु अस्पताल में भी मिल्क बैंक खोलने की प्रक्रिया जारी है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से प्रदेशभर में 90 लेक्टेशन मैनेजमेंट यूनिट्स खोलने की योजना है, जिनका मॉड्यूल केजीएमयू तैयार कर रहा है।
डॉ. शालिनी कहती हैं, “कुछ महिलाओं में प्राकृतिक रूप से दूध अधिक बनता है, जिसे वे मजबूरी में फेंक देती हैं। यदि इस दूध को सुरक्षित तरीके से दान किया जाए, तो कई नवजातों की ज़िंदगियां बचाई जा सकती हैं।
जानें क्या कहते हैं आंकड़े..
उत्तर प्रदेश में 26 फीसदी नवजात मौतें जन्म के 24 घंटे के भीतर हो जाती हैं। इन मौतों का प्रमुख कारण समय से पहले जन्म और कम वजन है। ऐसे में माताओं का दूध, विशेष रूप से डोनर ह्यूमन मिल्क, इन नन्हें जीवनों के लिए सबसे अहम रक्षा कवच बन सकता है।



