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58 हज़ार प्रतिवर्ष सर्पदंश से होती मौतें- प्रो. सिंह

 डॉक्टरों ने प्रेस वार्ता में सर्पदंश बचाव के बताए तरीके

 

 लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। सर्प काटने का सफल इलाज चिकित्सा स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। अधिकांश सर्प काटने का ग्राफ ग्रमीण स्तर का अधिक है और उसमें पुरुष सबसे ज्यादा हैं। भारत भर में प्रति वर्ष लगभग 58 हज़ार सर्प काटने से मौते होती हैं। इसमें अधिकांश लोगों को जानकारी का अभाव के चलते अस्पताल न ले जाकर झाड़ फुक के चक्कर में पड़ जाते हैं।

ऐसा नहीं करना चाहिए सर्प काटने पर तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर स्नेक एंटी वेनिन इंजेक्शन लगवाना चाहिए। यह जानकारी सोमवार को डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के सामुदायिक चिकित्सा विभाग द्वारा सर्पदंश बचाव कार्यशाला के दौरान प्रेस वार्ता में संस्थान निदेशक प्रो. सीएम सिंह ने दी।

वहीं कार्यशाला फाउंडेशन फॉर पीपल-सेंट्रिक हेल्थ सिस्टम्स नई दिल्ली के सहयोग से किया गया। जिसमें स्वास्थ्य प्रशासन, डॉक्टरों ने भाग लिया और सर्पदंश की रोकथाम और इलाज से जुड़े चिकित्सा, नीतिगत और जागरूकता संबंधी मुद्दों पर चर्चा की गयी।

साथ ही कार्यशाला में डॉ. चंद्रकांत लहरिया संस्थापक निदेशक और प्रसिद्ध जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ ने राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों और राज्य स्तरीय रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की, जो “सर्पदंश रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना के अनुसार हैं।

डॉ. पंकज सक्सेना, संयुक्त निदेशक, डीजीएमएच, उत्तर प्रदेश सरकार व राज्य नोडल अधिकारी (सर्पदंश) ने सर्पदंश से बचाव और प्रबंधन से जुड़े हालिया अपडेट साझा किए। भारत में सर्पदंश एक गंभीर जनस्वास्थ्य समस्या है। डॉ. लहरिया ने बताया कि यदि समय पर एंटी-स्नेक वेनम सीरम दिया जाए और मानकीकृत रेफरल प्रक्रिया अपनाई जाए, तो सर्पदंश से होने वाली मौतें पूरी तरह से रोकी जा सकती हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि समाज में फैली भ्रांतियाँ और गलत प्राथमिक उपचार की जानकारी अक्सर समय पर इलाज में देरी करती है।

इन सत्रों का उद्घाटन संस्थान के निदेशक प्रो. सीएम सिंह ने किया और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने उन्हें संचालित किया। विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) एसडी कंडपाल और आयोजन सचिव डॉ. मिली सेंगर ने कार्यक्रम की थीम और संचालन की जिम्मेदारी संभाली।

यह पहल विभागीय समन्वय, वैज्ञानिक आधार पर कार्रवाई और समुदाय केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जिससे इस उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग से निपटने में मदद मिलेगी। कार्यशालाओं ने उत्तर प्रदेश में सर्पदंश प्रबंधन के लिए एक मजबूत और संगठित रूपरेखा की नींव रखी है।

FPHS और RMLIMS भविष्य में राज्य के अन्य प्रभावित जिलों में भी इसी तरह की कार्यशालाएँ आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। वहीं जारी आकड़ो के अनुसार उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, बाराबंकी, फतेहपुर, सीतापुर,ललितपुर में सर्प काटने की घटनाओं का अधिक रिकार्ड मिलता है।

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