केजीएमयू में कर्मचारियों का डीपीसी मुद्दा गरमाया
कर्मचारी परिषद ने भेदभाव पूर्ण रवैया पर कुलपति से की मांग

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। केजीएमयू कर्मचारियों के साथ डीपीसी में भेदभाव पूर्ण रवैया के चलते मुद्दा गरमा गया है। जिसमें
कर्मचारी परिषद अध्यक्ष विकास सिंह महामंत्री अनिल कुमार द्वारा संयुक्त रूप से संस्थान कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद को कर्मचारियों की पदोन्नति प्रक्रिया डीपीसी में भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाने के चलते पत्र जारी कर गुहार लगाई है।
परिषद द्वारा जारी पत्र में कहा कि संस्थान में कर्मचारियों की पदोन्नति प्रक्रिया (डीपीसी) को लेकर एक सोची-समझी अनदेखी और भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है। यह न केवल कर्मचारी हितों का सीधा उल्लंघन है, बल्कि प्रशासनिक कर्तव्यों की भी घोर अवहेलना की जा रही है। इससे कर्मचारियों में भारी निराशा की स्थिति बनती जा रही है।
परिषद ने कर्मचारियों की बिंदुवार गिनाई समस्या..
दोहरे मापदंड का अन्यायपूर्ण व्यवहार संकाय सदस्यों की डीपीसी नियमित रूप से
जुलाई माह में जारी की जा रही है। जिससे उन्हें न केवल समय पर पदोन्नति मिलती है, बल्कि बैक डेट से वित्तीय लाभ भी प्रदान किया जाता है। इसके विपरीत कर्मचारियों के पद रिक्त होने के बाद भी वर्षों तक डीपीसी नहीं होती और कर्मचारियों का प्रमोशन तो रुकता ही है, साथ ही उन्हें वित्तीय लाभ से भी वंचित भी रखा जाता है। उन्होंने कहा कि
प्रशासन की उदासीनता एवं अव्यवस्था से कर्मचारी परिषद द्वारा इस मुद्दे पर कई बार
लिखित अनुरोध पत्र दिए गए और प्रशासनिक बैठकों में भी यह मुद्दा भी उठाया गया फिर भी आज तक केवल आश्वासन ही मिलता रहा।
कर्मचारियों को समय पर प्रमोशन न होने से कर्मचारी अपनेपरिवारिक दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ होते हैं। इससे कर्मचारी की पदोन्नति केवल उसका हक ही नहीं, बल्कि उसके परिवार की आर्थिक स्थिरता का भी कई सवाल उठते है।
कर्मचारी परिषद की माँग..
डीपीसी की निश्चित तिथि का निर्धारणः जैसे संकाय सदस्यों की डीपीसी की तिथि नियत है, वैसे ही कर्मचारियों की भी निश्चित वार्षिक तिथि प्रशासन द्वारा घोषित की जाए। समयबद्ध पदोन्नति प्रक्रिया डीपीसी नियत तिथि पर नहीं होती है, तो इसकी सीधी जवाबदेही संबंधित अधिकारियों पर तय की जाए और उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की जाए।
यदि पद रिक्त हैं, तो कर्मचारियों को बैक डेट से प्रमोशन दिया जाए और वित्तीय लाभ भी उसी प्रकार दिया जाए जैसे संकाय सदस्यों को दिया जाता है।
प्रशासन एक स्पष्ट और लिखित आदेश जारी कर पदोन्नति प्रक्रिया की समय-सीमा, जिम्मेदारियां और वित्तीय लाभ के प्रावधान स्पष्ट हों सके। परिषद का कहना है कि कुलपति द्वारा जब से संस्थान की जिम्मेदारी संभाली है तब से कर्मचारियों की जटिल समस्याएं एवं प्रमोशन जैसे अन्य मुद्दों को नियतिपारित करने का काम किया है।
ऐसे में कर्मचारी हित को ध्यान में रखते हुए भेदभाव पूर्ण रवैया पर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। जिससे कर्मचारियों का संस्थान के प्रति मनोबल बना रहे।



