चिकित्सा शिक्षा, उपचार,अनुसंधान के क्षेत्र में एम्स ने उच्चतम स्तर किया स्थापित -राष्ट्रपति
एम्स गोरखपुर का पहला दीक्षांत समारोह

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल रही मौजूद
गोरखपुर। लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उत्तर प्रदेश के बरेली कार्यक्रम में भागीदारी करने के बाद गोरखपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के पहले दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल रही।
सोमवार को राष्ट्रपति ने सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘एम्स’ नाम सुनते ही विश्वस्तरीय इलाज, उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधाएं, आधुनिक तकनीक और समर्पित डॉक्टरों की छवि मन में उभरती है। एम्स संस्थान भारत की चिकित्सा क्षमताओं के प्रतीक हैं, जहां हर मरीज एक नई उम्मीद लेकर आता है।
उन्होंने कहा कि भारत में चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और उपचार के क्षेत्र में एम्स ने उच्चतम मानक स्थापित किए हैं। चाहे सर्जरी की नई तकनीक हो, प्रारंभिक जांच के उपकरण हों या आयुष और एलोपैथी के संयोजन से इलाज एम्स ने नवाचार को अपने कार्य का अंग बना लिया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि एम्स गोरखपुर और देश के अन्य एम्स की स्थापना का उद्देश्य देश के कोने-कोने में उत्कृष्ट चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि एम्स गोरखपुर ने अल्प समय में शिक्षा, अनुसंधान और चिकित्सा सेवाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। यह संस्थान अब पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार की सीमा से लगे क्षेत्रों और नेपाल तक के नागरिकों को सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है तथा उत्कृष्ट चिकित्सा केंद्र के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टर समाज और देश के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे न केवल रोगों का इलाज करते हैं बल्कि एक स्वस्थ समाज की नींव भी रखते हैं। स्वस्थ नागरिक ही राष्ट्र की प्रगति में भागीदार बन सकते हैं। उन्होंने नवोदित डॉक्टरों से आग्रह किया कि वे समाज के उन वर्गों के लिए कार्य करें जिन्हें चिकित्सा सेवाओं की सर्वाधिक आवश्यकता है।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आज भी अनेक ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुंच पाई हैं, और विश्वास व्यक्त किया कि युवा डॉक्टर इस दिशा में कार्य करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टरों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह आवश्यक है कि वे ‘सहानुभूति’ के महत्व को समझें। उन्होंने मेडिकल शिक्षा से जुड़े सभी लोगों से अनुरोध किया कि वे भावी डॉक्टरों को ऐसे परिवेश में प्रशिक्षण दें, जिसमें वे चिकित्सक-रोगी संवाद, सहानुभूति की भूमिका और विश्वास निर्माण जैसे विषयों को समझें और उसे अपने व्यवहार में अपनाएं।
उन्होंने डॉक्टरों को स्मरण कराया कि चिकित्सा केवल एक पेशा नहीं, बल्कि मानवता की सेवा है। उन्होंने युवाओं से करुणा और ईमानदारी को अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बनाने का आह्वान किया।
यह समारोह ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत आयोजित किया गया था, जिसमें एम्स गोरखपुर के छात्रों, शिक्षकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों ने भाग लिया।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सम्बोधन में कहा कि आदि काल से गोरखपुर में स्थित गुरु गोरखनाथ अध्यात्म की अलख जगाई है। उन्होंने कहा कि जितने बौद्ध धार्मिक स्थल है वह गोरखपुर के इर्द गिर्द स्थापित हैं।