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अनुदानित यूरिया के दुरुपयोग की आशंका पर छापेमारी

तीन नमूने संकलित कर जाँच को भेजा

 

संवाददाता: गंगेश पाठक

अमेठी। लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। यूरिया के नमूने संकलित कर जाँच के भेजा गया। सोमवार को शासन के निर्देश पर औद्योगिक इकाइयों में नाइट्रोजनस कंपाउंड्स अथवा टेक्निकल ग्रेड यूरिया (टीजीयू) के स्थान पर अनुदानित नीम कोटेड यूरिया के संभावित दुरुपयोग की जांच के लिए कृषि एवं उद्योग विभाग की संयुक्त टीम द्वारा सोमवार को जनपद की आठ औद्योगिक इकाइयों में छापेमारी की गई। इस दौरान तीन इकाइयों से यूरिया के नमूने संकलित किए गए।

जिलाधिकारी संजय चौहान के निर्देश पर जिला कृषि अधिकारी डॉ. राजेश कुमार एवं उद्योग विभाग के सहायक प्रबंधक राजेश कुमार भारती की संयुक्त टीम का गठन किया गया, जिसे जनपद में स्थापित औद्योगिक इकाइयों द्वारा तकनीकी उद्देश्यों हेतु प्रयुक्त यूरिया के स्रोतों की गहनता से जांच करने का दायित्व सौंपा गया। उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के प्रावधानों के अनुसार अनुदानित यूरिया का औद्योगिक उपयोग प्रतिबंधित है।

जांच के क्रम में सबसे पहले जाफा जगदीशपुर स्थित पोल्ट्री/कैटल फीड प्लांट एवं गोदाम का निरीक्षण किया गया, जहां 260 बोरी टेक्निकल ग्रेड यूरिया पाए जाने पर एक नमूना संकलित किया गया। इसके बाद गैक प्लास्ट कंटेनर प्राइवेट लिमिटेड, जगदीशपुर के प्लाईवुड प्लांट में 38 बोरी टीजीयू पाई गईं, जिनमें से एक का नमूना लिया गया। इसी प्रकार विकास वुड इंडस्ट्रीज, जगदीशपुर में भी 38 बोरी यूरिया पाई गई, जिसमें से एक नमूना गम निर्माण हेतु उपयोग किए जाने की स्थिति में संकलित किया गया।

इसके अतिरिक्त शालीमार पैलेट फीड उद्योग, स्काईलार्क पोल्ट्री फीड प्राइवेट लिमिटेड, सुगना फूड प्रोडक्ट लिमिटेड, सुपस फीड प्राइवेट लिमिटेड तथा गोरखनाथ ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड का भी निरीक्षण किया गया, जहां किसी भी इकाई में अनुदानित नीम कोटेड यूरिया के उपयोग के प्रमाण नहीं पाए गए।

सभी औद्योगिक इकाइयों को निर्देशित किया गया कि भविष्य में अपने उत्पादों—जैसे पेंट, वार्निश, प्रिंटिंग इंक, प्लाईवुड, फीड अथवा अन्य रासायनिक प्रसंस्करण कार्यों—में अनुदानित यूरिया का प्रयोग न करें, अन्यथा उनके विरुद्ध सुसंगत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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