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गोस्वामी तुलसीदास की 12.50 फ़ीट की मूर्ति बनकर तैयार

कल गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली पर अष्टधातु की मूर्ति की होगी स्थापित -जयवीर सिंह

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। महाकवि गोस्वामी तुलसीदास की अष्टधातु की मूर्ति बनकर तैयार हो गयी है। कल चित्रकूट जनपद स्थित राजापुर में महाकवि तुलसीदास की 12.50 फीट की अष्टधातु की मूर्ति स्थापित की जाएगी। इसे जयपुर के मूर्तिकार राजकुमार द्वारा तैयार किया गया है। पर्यटन विभाग की यह महात्वकांक्षी योजना प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में पर्यटन को नया आयाम प्रदान करेगी।

रविवार को यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि चित्रकूट जनपद में स्थित राजापुर महाकवि तुलसीदास की जन्मस्थली हैं। पर्यटन विभाग यहां का पर्यटन विकास कर रहा है। ओपेन एयर थिएटर, इंटरप्रेटेशन सेंटर, आडियो-विजुअल सेंटर, लाइब्रेरी, कैफेटएरिया, कैफेटएरिया, तुलसीदास मंदिर का जीर्णोद्धार सहित अनेक पर्यटक सुविधाएं और पर्यटन आकर्षण तैयार किए जा रहे हैं।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने बताया कि राजापुर के विकास के क्रम में पर्यटन विभाग 16 लाख रुपये से महाकवि तुलसीदास की मूर्ति स्थापित करेगा। इसे ललितकला अकादमी ने जयपुर की आर्टिस्ट फार फाउंड्री नामक फर्म से तैयार कराया है। यह मूर्ति 5 मई को तुलसी उपवन वाटिका में स्थापित की जाएगी। मूर्ति की स्थापना एक आकर्षक एवं राजापुर के समेकित पर्यटन विकास में एक नए आयाम स्थापित करेगा।

जयवीर सिंह ने बताया कि जनपद चित्रकूट में अनेक प्राचीन स्थल मौजूद हैं। यहां पर सालभर पर्यटकों का आवागमन होता है। वनवास काल में भगवान श्रीराम लम्बे समय तक यहां निवास किये थे। यहां पर भगवान राम, लक्ष्मण, मां सीता से जुड़े अनेक धार्मिक स्थल हैं। पर्यटन विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतर्गत जनपद चित्रकूट में विभिन्न धार्मिक स्थलों एवं मंदिरों के विकास के लिए 4992.62 लाख रूपये की 3 परियोजनायें भी स्वीकृत की गयी है।

इसमें कामदगिरी परिक्रमा मार्ग का श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सांस्कृतिक एवं शहरी कायाकल्प एवं बुनियादी सुविधाओं के पर्यटन विकास, रामवन गमन मार्ग के मुख्य पड़ाव स्थल पर पर्यटक सुविधा केन्द्र,डारमेट्री के निर्माण तथा चित्रकूट हवाई अड्डे के समीप देवांगना घाटी में बार्डर पर पर्यटन सुविधा केन्द्र,डारमेट्री के निर्माण हेतु परियोजना स्वीकृत की गयी है। उन्होंने बताया कि महाकवि तुलसीदास ने सांस्कृतिक एकता एवं राष्ट्रीय अस्मिता को अक्षुण्ण करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी जन्मस्थली पर उनकी मूर्ति की स्थापना उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का एक अवसर है।

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