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एनबीआरआई में दो दिवसीय पादप महोत्सव

शोधार्थी अपनी प्रतिभा की देंगे प्रस्तुति

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी में शोध के क्षेत्र में कार्य करने वाले शोधार्थियों की प्रतिभा देखने को मिलेगी। बुधवार को एनबीआरआई में दो दिवसीय ग्रीष्मकालीन पादप महोत्सव का उद्घाटन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं सीएसआईआर-सीएफटीआरआई, मैसूर, सीएसआईआर सीमैप के पूर्व निदेशक डॉ. राम राजशेखरन इस समारोह में उपस्थित रहे। वहीं

संस्थान के निदेशक डॉ अजित कुमार शासनी ने अतिथियों, आगंतुकों एवं उपस्थित श्रोताओं का स्वागत करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम पूरी तरह से संस्थान के विद्यार्थियों के द्वारा ही आयोजित किया जा रहा है और इसलिए उन्होंने सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि यह कार्यक्रम सिर्फ उनके द्वारा अपने शोध को प्रदर्शित करने का नहीं अपितु संस्थान की संस्कृति एवं जीवंतता दिखाने का भी अवसर प्रदान करता है। इस विज्ञान महोत्सव के आयोजन का मुख्य उद्देश्य शोधार्थियों की छिपी हुई प्रतिभाओं को उजागर करना एवं प्रोत्साहित करना है। साथ ही उनके अंदर विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए हिम्मत एवं जोश उत्पन्न करना है।

डॉ. अजीत कुमार शासनी ने कहा कि यह उत्सव संस्थान के शोधार्थियों द्वारा 2018 में शुरू किया गया एक अनूठा विज्ञान महोत्सव है। यह महोत्सव हर साल उस दिन की स्मृति में (13 अप्रैल 1953) मनाया जाता है। जिस दिन राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), नई दिल्ली द्वारा अपनी छठी राष्ट्रीय प्रयोगशाला के रूप में अंगीकृत किया गया था।

ग्रीष्मकालीन पादप महोत्सव की संयोजक एवं मुख्य वैज्ञानिक डॉ. विधु साने ने बताया कि इस विज्ञान महोत्सव में प्रतिभागियों द्वारा दो दिनों में विभिन्न वर्गों में प्रतियोगितायें आयोजित की जाएगी। जिनमें मौखिक व्याख्यान, पोस्टर प्रस्तुति, फोटोग्राफी प्रतियोगिता, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, ट्रेजर हंट, विज्ञान कला आदि शामिल हैं। इस महोत्सव में संस्थान के करीब 200 से ज्यादा शोधार्थी भाग ले रहे है। आज विभिन्न सत्रों में पादप विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में शोधार्थियों द्वारा 19 मौखिक व्याख्यान एवं 17 पोस्टर प्रस्तुतियां प्रस्तुत करी जाएगीं। इस विज्ञान महोत्सव का आयोजन एसीएसआईआर, गाजियाबाद द्वारा सह-प्रायोजित है।

उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. राम राजशेखरन ने इस महोत्सव के आयोजन के लिए सभी शोधार्थियों को बधाई दी। डॉ. राम ने सभी शोधकर्ताओं से आह्वान किया कि वे अपने वैज्ञानिक उत्साह और ऊर्जा का उपयोग उन समस्याओं के समाधान की तलाश में करें जो समाज और मानव जाति को सीधे लाभ पहुंचा सकती हैं। डॉ. राम ने दोहराया कि आप जिस तरह से शोध करना चाहते हैं, उसी तरह करें एवं हमेशा नए तकनीकी आविष्कारों, विशिष्ट विचारों की खोज करें। उन्होंने कहा कि आने वाले समय की चुनौतियों को देखते हुए शोधार्थी अपना शोध तय करें एवं विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाएं। डॉ. राम राजशेखरन ने मोटापे और थर्मोजेनिक फ़ूड पर एक व्याख्यान भी प्रस्तुत किया । मोटापे पर चर्चा करते हुए बताया कि शरीर में मोटापा इस बात के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है कि शरीर ऊर्जा सेवन, ऊर्जा व्यय एवं ऊर्जा भंडारण को कैसे नियंत्रित करता है।

शरीर में मोटापा अत्यधिक श्वेत वसा ऊतक भंडारण की स्थिति को दर्शाता है जबकि ब्राउन एडीपोज़ टिशू, जिसे ब्राउन फैट के नाम से भी जाना जाता है, एक विशेष प्रकार का वसा है जो शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आहार-प्रेरित थर्मोजेनेसिस प्रक्रिया के द्वारा हम श्वेत वसा ऊतक को ब्राउन वसा उतक में बदल कर मोटापे को कम कर सकते हैं। थर्मोजेनिक खाद्य (जैसे सफ़ेद तिल, आम, चने की दाल, सरसों, पपीता आदि) आहार-प्रेरित मोटापे और इससे जुड़ी चयापचय संबंधी बीमारियों की रोकथाम के लिए एक संभावित पूरक दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं।

मधुमेह के बारे में बात करते हुए डॉ. राम ने कहा कि स्तनधारियों में कैलोरी सेवन को नियंत्रित करने के लिए गन्ने से सुक्रोज अवरोधक का उपयोग किये जाने पर अध्ययन किया गया है। यह मधुमेह के पूर्व की स्थितियों, नए खाद्य नवाचारों और न्यूट्रास्यूटिकल्स के लिए भोजन के माध्यम से कैलोरी सेवन के प्रबंधन के लिए एक नई रणनीति है। मधुमेह से दुनिया भर में लगभग 50 करोड़ से ज्यादा लोगों प्रभावित है। जिसमें सबसे बड़ी संख्या (7.5 करोड़ ) भारत में है।

डॉ. राम ने कहा कि सुक्रोज अवरोधकों द्वारा तत्काल ग्लूकोज स्पाइक्स को नियंत्रित करने से यौगिकों के एक नए वर्ग का विकास हुआ है जिसके जरिये भविष्य में मधुमेह नियंत्रण करना बेहद आसान होगा। इसके अलावा समापन कल 24 अप्रैल को सुबह 10:30 बजे से 8वें प्रो. केएन कौल स्मारक व्याख्यान का आयोजन भी करेगा। इस अवसर पर पद्म भूषण प्रो. पी. बलराम, पूर्व निदेशक, आईआईएससी, बंगलुरु मुख्य अतिथि होंगे और स्मृति व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे।

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