20 अप्रैल तक प्रदेश में कहीं कहीं ओलावृष्टि वज्रपात चलेंगी तेज हवाएं
मौसम को लेकर बैठक, कृषि प्रबंधन के दिए सुझाव

लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। किसानों के लिए मौसम पर आधारित बैठक की गयी। गुरुवार को प्रदेश के कृषकों को आगामी सप्ताह के लिए मौसम आधारित कृषि परामर्श क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की द्वितीय बैठक डा. संजीव कुमार, उपमहानिदेशक, उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद की अध्यक्षता में परिषद के सभाकक्ष में की गयी। बैठक में प्रदेश में मौसम के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में किसानों को अगले दो सप्ताह के लिए कृषि प्रबन्धन के लिए जारी सुझाव में बताया कि
आगामी सप्ताह का मौसम पूर्वानुमान (17-24 अप्रैल) भारत मौसम विज्ञान विभाग से प्राप्त मौसम पूर्वानुमान के अनुसार इस सप्ताह के आरंभिक चरण में 20 अप्रैल तक के प्रदेश में कहीं-कहीं मेघगर्जन, वज्रपात व तेज झोंकेदार हवाओं के साथ हल्की वर्षा व ओलावृष्टि होने की संभावना है। प्रदेश के भाभर तराई क्षेत्र के अधिकांश भाग तथा पश्चिमी मैदानी एवं मध्य पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के उत्तरी भाग में औसत साप्ताहिक अधिकतम तापमान 35 से 37 डिग्री सेल्सियस दक्षिणी-पश्चिमी अर्द्धशुष्क मैदानी एवं बुंदेलखंड क्षेत्र के अधिकांश भाग में औसत साप्ताहिक अधिकतम तापमान 39 से 41 डिग्री सेल्सियस जबकि प्रदेश के अन्य कृषि जलवायु अंचलों में यह 37 से 39 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।
प्रदेश के भाभर तराई क्षेत्र के पश्चिमी भाग में औसत साप्ताहिक न्यूनतम तापमान 20 से 22 डिग्री सेल्सियस; भाभर तराई एवं पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के शेष भाग तथा मध्य पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के अधिकांश भाग में औसत साप्ताहिक न्यूनतम तापमान 22 से 24 डिग्री सेल्सियस तथा अन्य कृषि जलवायु अंचलों में यह 24 से 26 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। प्रदेश में 20 अप्रैल के बाद तापमान में क्रमिक वृद्धि जारी रहने से आने वाले दिनों में कहीं-कहीं लू की परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती है जिसके लिये नियमित दैनिक मौसम पूर्वानुमान देखते रहे।
आगामी द्वितीय सप्ताह के मौसम का दृष्टिकोण (25 अप्रैल-01 मई,)इस सप्ताह के अंतिम चरण में प्रदेश के उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र व उसके आस-पास के क्षेत्रों में हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। प्रदेश के भाभर तराई एवं उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र के अधिकांश भाग तथा पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के उत्तरी भाग में औसत साप्ताहिक अधिकतम तापमान 36 से 38 डिग्री सेल्सियस पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के शेष भाग तथा मध्य पश्चिमी मैदानी एवं पूर्वी मैदानी क्षेत्र के अधिकांश भाग में औसत साप्ताहिक अधिकतम तापमान 38 से 40 डिग्री सेल्सियस; दक्षिणी-पश्चिमी अर्द्धशुष्क मैदानी क्षेत्र के दक्षिणी भाग एवं बुंदेलखंड के अधिकांश भाग में औसत साप्ताहिक अधिकतम तापमान 42 से 44 डिग्री सेल्सियस जबकि प्रदेश के अन्य कृषि जलवायु अंचलों में यह 40 से 42 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।
प्रदेश के भाभर तराई क्षेत्र के अधिकांश भाग, पश्चिमी मैदानी एवं मध्य पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के उत्तरी भाग तथा उत्तर-पूर्वी मैदानी, पूर्वी मैदानी एवं विंध्य क्षेत्र के पूर्वी भाग में औसत साप्ताहिक न्यूनतम तापमान 20 से 22 डिग्री सेल्सियस; दक्षिणी-पश्चिमी अर्द्धशुष्क मैदानी क्षेत्र के दक्षिणी भाग एवं बुन्देलखंड क्षेत्र के संलग्न पश्चिमी भाग में औसत साप्ताहिक न्यूनतम तापमान 24 से 26 डिग्री सेल्सियस तथा अन्य कृषि जलवायु अंचलों में यह 22 से 24 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।
मौसम के परिप्रेक्ष्य में किसानों को फसल प्रबन्धन के लिए सुझाव दिये गए। जिसमें वर्तमान ग्रीष्म मानसून पूर्व ऋतु के दौरान ओलावृष्टि, मेघगर्जन, वज्रपात, आंधी-तूफान, लू की संभावना रहती है अतः दैनिक व तात्कालिक मौसम पूर्वानुमान व चेतावनियों पर ध्यान दें तथा दिये गये निर्देशों का तद्नुसार पालन व सुरक्षात्मक उपाय करें ताकि जान माल के हानि से बचाया जा सकें। पानी की उपलब्धता की दशा में धान की रोपाई वाले प्रक्षेत्रों में हरी खाद के लिए सनई एवं ढैंचा की बुआई करें।
खाली खेतो में गर्मी की गहरी जुताई, मेड़ों की साफ-सफाई, आवश्यकतानुसार मेड़बंदी करें तथा असमतल खेतों का लेजर लेवलर द्वारा समतलीकरण करें। यदि गेहूं की तैयार फसल की कटाई अभी तक नहीं कर पायें है तो तत्काल करें। वर्तमान में तापमान अधिक होने के कारण गेहूॅ की थ्रेसिंग व गेहूॅ को सुखाने के लिए मौसम अनुकूल है। साफ मौसम की स्थिति में शीघ्रातिशीघ्र गेहूॅ की थ्रेसिंग कर भण्डारण करें। गेहूॅ के बाद यदि गन्ना बोना हो तो तत्काल सिंचाई कर ओट आने पर खेत तैयार कर बुवाई करें। यदि संभव हो तो बीज गन्ना हेतु ऊपरी 1/3 भाग का ही प्रयोग करें। बीज गन्ना को पानी में कम से कम रात भर डाल दें। दो या तीन ऑख के टुकड़े काटकर 60 सेमी. की दूरी पर इथरेल 100 पीपीएम घोलकर से उपचारित करें।
वर्तमान मौसम में सब्जियों में उकठा (विल्ट) आने की संभावना है तो कार्बेन्डाजिम 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें तथा 10 से 12 दिन बाद दूसरा छिड़काव करें। भिण्डी की फसल में सफेद मक्खी के द्वारा पीत शिरा मोजैक वायरस के प्रसार से रोग फैलता है। इसका प्रकोप पत्तियों एवं फलों पर होता है, पौधे एवं फलों की बढ़वार रूक जाती है। फल एवं पत्तियां पीली पड़ जाती है। इसकी रोकथाम के लिए ग्रस्ति पौधें को उखाड़कर जला दे या मिट्टी में दबा दें तथा रोग वाहक कीट को नीला चिपचिपा ट्रैप 8 से 10 ट्रैप प्रति हे0 लागायें। इसके रासायनिक उपचार में इमिडाक्लोरोपिड 30, 1.0 मिली दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
आम के भुनुगा कीट की रोकथाम हेतु इमिडाक्लोप्रिड 30.5 प्रतिशत एस.सी. (3.0 मिली0/10 लीटर) एवं प्रोफेनोफास 50 प्रतिशत ई.सी. (1 मिली/लीटर) पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। वर्तमान मौसम में आम के फलों को आंतरिक ऊतक क्षय (फू्रट निक्रोसिस) से रोकथाम हेतु बोरेक्स 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें। आम में गुम्मा व्याधि से ग्रसित बौर को निकाल कर जला दें।
आम एवं अमरूद में फलमक्खी से बचाव के लिए मिथाइल यूजिनाल एवं क्यू ल्योर टैªप 8-10 ट्रैप प्रति हे. लगाये तथा नीम एक्सट्रैक्ट 5ः प्रति लीटर पानी में घोलकर 10-15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें। पशुओं में एचएस एवं बीक्यू बीमारी का टीकाकरण कराया जा रहा है। यह सुविधा पशुचिकित्सालयों पर निःशुल्क उपलब्ध है। मछली पालन हेतु तालाब बनाने के लिए उपयुक्त स्थान का चुनाव करना चाहिए साथ ही पुराने तालाबों का सुधार/मरम्मत करें। नये तालाबों का निर्माण कार्य भी प्रारंभ कर दें। इस महीने में तालाब में कॉमन कार्प मत्स्य बीज का संचय करें।