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सत्य के रास्ते चलिए, नेतृत्व की पहचान आचरण से होती -प्रकाश सिंह

यूपीपी के beyond the badge पॉड कॉस्ट में पूर्व डीजीपी ने अपने अनुभव साझा किए

 

 लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। पूर्व डीजीपी ने सत्य और ईमानदारी, निष्ठावान की भांति कर्तव्यों को करने के लिए प्रेरित करते हुए अपने अनुभव साझा किए । उत्तर प्रदेश पुलिस के पॉडकास्ट “Beyond the Badge” के 12वें एपिसोड में पूर्व DGP प्रकाश सिंह ने अपने सेवाकाल, संघर्षों और ईमानदार नेतृत्व के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि शुरुआती दिनों में वह नौकरी छोड़ना चाहते थे, लेकिन परिवार के सहयोग से आगे बढ़े और कठिन हालातों में भी डटे रहे। नागालैंड में जान से मारने की धमकी के बावजूद सेवा नहीं छोड़ी। उन्होंने योगी सरकार की माफिया विरोधी कार्रवाई को ऐतिहासिक बताया और युवा अधिकारियों को सत्य, सेवा और नेतृत्व के रास्ते पर चलने का संदेश दिया।

सत्य के रास्ते का चुनाव करिये शॉर्टकट से नहीं,युवाओं को किया प्रेरित..

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पुलिस की उपलब्धियों को जनमानस तक पहुँचाने के लिए डीजीपी प्रशान्त कुमार द्वारा शुरू किए गए इस पॉडकास्ट की मेज़बानी कर रहीं पुलिस अधीक्षक (महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन) वृन्दा शुक्ला के साथ हुई इस बातचीत में प्रकाश सिंह ने न सिर्फ अपने करियर के उतार-चढ़ाव साझा किए, बल्कि युवाओं और अधिकारियों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश छोड़ा—“सत्य के रास्ते पर चलिए, शॉर्टकट से नहीं। नेतृत्व की पहचान आचरण से होती है।”

जब नौकरी छोड़ने का मन बनाया और इतिहास रच दिया

प्रकाश सिंह ने बताया कि पुलिस सेवा में आने के शुरुआती दिनों में उनका मन नौकरी में बिल्कुल नहीं लगता था और वह अक्सर इसे छोड़ने की बात अपनी पत्नी से किया करते थे। लेकिन पत्नी के कहने पर कुछ साल और सेवा में टिके रहे—और यही निर्णय उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बना। धीरे-धीरे वह चुनौतियों से जूझते गए और उनका मन पुलिस सेवा में रम गया।

“जाको राखे साइयां, मार सके न कोय”नागालैंड में मौत के साए के बीच डटे रहे

नागालैंड में पोस्टिंग के दौरान उन्हें उग्रवादी संगठनों की ओर से जान से मारने की धमकी मिली थी। अधिकारियों ने उन्हें दिल्ली ट्रांसफर का सुझाव दिया, लेकिन उन्होंने साफ कहा—“जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय”—और पूरी निडरता से अपना कार्यकाल वहीं पूरा किया।

पारिवारिक विरासत और ईमानदारी की शिक्षा

प्रकाश सिंह ने अपने पिता सूर्यनाथ सिंह को पूर्वी उत्तर प्रदेश का गांधी बताते हुए कहा कि उन्होंने 1942 के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था और जेल भी गए थे। उनके पिताजी की ईमानदारी और सादगी से उन्होंने यह सीखा कि गलत तरीके से कमाया गया पैसा टिकता नहीं। यही सिद्धांत उन्होंने अपने पूरे सेवाकाल में आत्मसात किया।

योगी सरकार की माफिया विरोधी कार्रवाई को बताया ऐतिहासिक

उत्तर प्रदेश में माफियाओं के खिलाफ चलाए गए अभियानों की सराहना करते हुए प्रकाश सिंह ने कहा कि “ऐसा ऐतिहासिक कदम कोई डीजीपी नहीं उठा सकता, यह कार्य केवल एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाले मुख्यमंत्री ही कर सकते हैं।”

भर्ती से लेकर भवन निर्माण तक—पुलिस में व्यापक सुधारों की तारीफ

उत्तर प्रदेश में 60 हजार आरक्षियों की पारदर्शी भर्ती की खुलकर तारीफ करते हुए उन्होंने इसे भ्रष्टाचार मुक्त और अत्यंत प्रभावी बताया। साथ ही भवन निर्माण और ढांचे में हो रहे बदलावों को भी सराहा। बातचीत के अंत में उन्होंने अपनी लिखी पुस्तकों, सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका और सेवानिवृत्त जीवन के अनुभव साझा किए। युवा अधिकारियों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा—“रूल ऑफ लॉ को हमेशा सर्वोच्च मानिए। अगर रास्ता कठिन हो तो कुर्बानी दीजिए, लेकिन रास्ता मत छोड़िए। तभी आपके माथे पर विजय का सेहरा बंधेगा।”

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