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156 वर्ष का हुआ बलरामपुर अस्पताल

आमजनमानस को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान करने को सरकार प्रयत्नशील - पार्थसारथी सेन शर्मा 

 

प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य ने कार्यशाला का किया शुभारम्भ 

 स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने व्यक्त किए अपने-अपने सुझाव 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी में स्थित जिला चिकित्सालय ने अपनी 156 वर्ष की लंबी यात्रा पूरी करते हुए लोगों को जिंदगी प्रदान कर रहा है। सोमवार बलरामपुर चिकित्सालय ने अपने 156वें वर्ष पूरे होने पर स्थापना दिवस पर कार्यशाला आयोजित की । जिसमें बतौर मुख्य अतिथि प्रमुख पार्थ सारथी सेन शर्मा ने एक दिवसीय सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यशाला का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं उप्र डॉ. रतन पाल सिंह सुमन, महानिदेशक परिवार कल्याण, डॉ. सुषमा सिंह, एवं महानिदेशक प्रशिक्षण, डॉ. पवन कुमार अरुण सहित चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी, चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी व अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ मौजूद रहे। वहीं अपने सम्बोधन में पार्थ सारथी सेन शर्मा ने चिकित्सा क्षेत्र में गुणवत्ता सुधार और नवाचार को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने और आमजन तक बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएँ पहुँचाने के लिए सतत प्रयासरत है। साथ ही अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी ने कहा चिकित्सा विज्ञान में नवीनतम तकनीकों और ज्ञान का आदान-प्रदान अत्यंत आवश्यक है। यह कार्यशाला चिकित्सकों को आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों की जानकारी प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा। जिससे वे मरीजों को बेहतर सेवाएँ दे सकें। उन्होंने कहा कि बलरामपुर चिकित्सालय हमेशा चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान को प्रोत्साहित करता रहा है और आगे भी ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करता रहेगा। इसी क्रम में अस्पताल निदेशक एवं प्रमुख अधीक्षक डॉ.सुशील प्रकाश ने कहा कि चिकित्सालय अपने 156 वर्षों की समृद्ध विरासत के साथ लगातार चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कार्यशाला न केवल चिकित्सकों के ज्ञानवर्धन के लिए उपयोगी होगी,बल्कि इससे मरीजों को नवीनतम और उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करने में भी सहायता मिलेगी। हमारा प्रयास रहेगा कि भविष्य में भी ऐसे शैक्षणिक एवं शोधपरक कार्यक्रमों का आयोजन कर चिकित्सा जगत को सशक्त किया जाए।

कार्यशाला में शामिल विशेषज्ञों के सुझाव..

डॉ. सूर्यकांत, प्रोफेसर विभागाध्यक्ष, श्वसन रोग विभाग केजीएमयू एवं डीआरटीबी देखभाल केंद्र के संस्थापक प्रभारी, ने उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे 100 दिवसीय विशेष अभियान के तहत टीबी उन्मूलन की रणनीतियों पर प्रकाश डाला। डॉ. सुहाग वर्मा वरिष्ठ सलाहकार अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल ने गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों एवं फैटी लिवर के आधुनिक निदान एवं उपचार तकनीकों पर चर्चा की। प्रो.एके त्रिपाठी, प्रोफेसर मेडिसिन एवं हेमेटो-ऑन्कोलॉजी, हिम्स बाराबंकी, पूर्व निदेशक आरएमएल एवं पूर्व डीन एवं विभागाध्यक्ष, क्लीनिकल हेमेटोलॉजी, केजीएमयू ने रक्त-संबंधी विकारों एवं आधुनिक उपचार पद्धतियों पर व्याख्यान दिया। डॉ. अभिनव अरुण सोनकर, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, सर्जरी विभाग केजीएमयू ने गॉलब्लैडर (पित्ताशय) सर्जरी में नवीनतम तकनीकों की जानकारी दी। प्रो. विश्वजीत सिंह, प्रोफेसर, यूरोलॉजी विभाग, केजीएमयू, ने किडनी ट्रांसप्लांट प्रक्रिया, डोनर की चयन प्रक्रिया, सर्जरी की तकनीक एवं पोस्ट-ट्रांसप्लांट देखभाल पर विस्तृत चर्चा की। डॉ. अरशद अहमद, पूर्व प्रोफेसर, सर्जरी विभाग, केजीएमयू, एवं प्रमुख, एनोरक्टल यूनिट, ने जटिल एनल फिस्टुला के आधुनिक उपचार पर व्याख्यान दिया। डॉ. नकुल सिन्हा, चेयरमैन- कार्डियोलॉजी, कार्डियक साइंसेज, मैक्स हेल्थकेयर, लखनऊ एवं पूर्व प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, कार्डियोलॉजी एसजीपीजीआई ने हार्ट फेल्योर से जुड़ी भ्रांतियों एवं आधुनिक उपचार पर चर्चा की। कार्यशाला के दौरान इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में चिकित्सकों, शोधकर्ताओं एवं स्वास्थ्य कर्मियों शामिल रहे।वक्ताओं ने चिकित्सा विज्ञान के नवीनतम अनुसंधानों एवं तकनीकों पर अपने विचार साझा किए। साथ ही डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी एवं निदेशक एवं प्रमुख अधीक्षक डॉ. सुशील प्रकाश ने समस्त अतिथियों, वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और इस प्रकार के शैक्षणिक आयोजनों को भविष्य में भी निरंतर जारी रखने की प्रतिबद्धता की बात कही। इसके अलावा अस्पताल प्रशासन ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रस्तावित नेत्र वार्ड एवं नवीन नेत्र मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर के उद्घाटन किसी कारणवश समारोह को स्थगित कर दिया गया है।

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